Diwali kab hai 2024: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार दिवाली का पर्व कब मनाया जाएगा, इसकी दिनांक को लेकर ज्योतिष विद्वानों में मतभेद है। अधिकांश ज्योतिष विद्वान दीपावली का पर्व 1 नवंबर 2024 शुक्रवार को मनाए जाने का समर्थन कर रहे हैं जबकि मध्य भारत के बहुत प्रसिद्ध कैलेंडर लाला रामस्वरूप रामनारायण जी.डी. एंड संस पंचांग में दीपावली 31 अक्टूबर की छपी है। आओ जानते हैं कि कैलेंडर निर्माता का क्या मत है।
कैलेंडर अनुसार 31 अक्टूबर को रहेगी दिवाली।
दिन में 4:30 से रात्रि 8:31 तक दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त है।
1 नवंबर को प्रदोष काल के आरम्भ काल में ही अमावस्या समाप्त, इसलिए इस दिन दिवाली नहीं मनाएं।
कैलेंडर निर्माता विद्वान ज्योतिषी का दीपावली को लेकर मत:-
इसको लेकर वेबदुनिया ने कैलेंडर निर्माता 84 वर्षीय ज्योतिषाचार्य पंडित नारायण शंकर नाथूराम व्याससे बात की तो उन्होंने कहा कि कंप्यूटर वाले पंडितों की गणना में थोड़ा सा समय बढ़ गया है। उसमें भी दिवाली अर्धरात्रि में मनाई जाती है। हम किसी पंचांग के आधार पर नहीं हम खुद गणित करते हैं। धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु सभी में लिखा हुआ है कि संध्याकाल, प्रदोष काल में और निशीथ काल में भी दिवाली मनाते हैं। हमने सोच-समझकर गणना करके लिखा है। हम आरसी, जीडी और रामनारायण सभी पंचांग बनाते हैं। हम सब देखकर ही तैयार करते हैं। बनारसी पंचांग, ऋषि पंचांग, महावीर पंचांग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय आदि सभी पंचांगों से पहले ही हम पंचांग बनाते हैं। इनके पंचांग तो बाद में छपकर आते हैं।
पंडितजी के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाना उचित है।
1 नवम्बर 2024 शुक्रवार को दीवाली क्यों नहीं मनाएं?
लाला रामस्वरूप रामनारायण कैलेंडर के अनुसार दीपावली का मुख्य पूजन काल प्रदोष व्यापिनी अमावस्या से अर्द्धरात्रि अमावस्या तक होता है, यदि रात्रि में अमावस्या न मिले तो प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ली जाती है। तारीख 1 नवंबर को प्रदोष काल के आरम्भ काल में ही अमावस्या समाप्त हो रही है ( यानी शाम 4 बजकर 52 मिनिट पर) तथा प्रतिपदा (नंदा) प्रारम्भ हो रही है।
ज्योतिष शास्त्र में लिखा है- न नन्दा होलिका दाहो न नंदा दीपमालिका।
अर्थात नंदा तिथि में न होलिका दहन होता है और न दीपोत्सव मनाया जाता है।
ऐसी स्थिति में 31 अक्टूबर को प्रदोष काल एवं पूर्ण रात्रि में मिल रही अमावस्या में मां लक्ष्मी का पूजन शास्त्र सम्मत व श्रेष्ठ है। दीपावली के कर्म काल में अमावस की रात्रि की प्रधानता है जो 1 नवम्बर को प्राप्त नहीं है इसलिये दीपावली 31 अक्टूबर को शास्त्र सम्मत शुद्ध है।
31 अक्टूबर, गुरुवार को दीपावली क्यों मनाएं?
- लाला रामस्वरूप रामनारायण कैलेंडर के अनुसार दीपावली लक्ष्मी पूजन का पर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या को सूर्यास्त उपरांत प्रदोष काल में श्री गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती, महाकाली, कुबेर आदि के पूजन करने का विशेष महत्व है।
- इस वर्ष गुरुवार 31 अक्टूबर को अमावस्या 2 बजकर 50 मिनट दिन से शुरू होकर दूसरे दिन शुक्रवार 1 नवम्बर को 4 बजकर 52 मिनट शाम को समाप्त हो रही है। दीपावली सूर्यास्त उपरांत प्रदोष व्यापिनी अमावस्या के दिन लक्ष्मी कुबेर आदि पूजन करने का निर्देश सभी धार्मिक ग्रंथों में है।
- प्रत्येक त्योहार में कर्म काल की प्रधानता है, दीपावली का मुख्य कर्म काल प्रदोष काल से अर्द्धरात्रि है। लक्ष्मी पूजन मुख्य रूप से स्थिर लग्न कुम्भ, वृष, सिंह प्रदोष काल में और निशीथ काल में देवी महाकाली का विशेष पूजन होता है और अर्द्धरात्रि में धन की देवी लक्ष्मी जी घरों में प्रवेश करती है। दरिद्रता घर से बाहर निकलती है।
- दीपावली की अमावस्या की अर्द्धरात्रि में जंत्र, मंत्र, तंत्र आदि की सिद्धि और हवन शांति होती है इन सब कार्यों का समय इस वर्ष केवल गुरुवार, 31 अक्टूबर को प्राप्त है इसलिये इस वर्ष दीपावली का पूजन गुरुवार, 31 अक्टूबर को शास्त्र सम्मत शुभ है।
31 अक्टूबर 2024 लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त:-
लाला रामस्वरूप जी.डी. एंड संस कैलेंडर में 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को दीपावली पूजन का विशेष शुभ मुहूर्त-
पहला मुहूर्त : दिन में 4:30 से रात्रि 8:31 तक शुभ की चौघड़िया, गोधूली प्रदोष काल और स्थिर लग्न वृषभ का शुभ मुहूर्त रहेगा।
दूसरा मुहूर्त : रात्रि 7:30 से रात्रि 10:44 तक चर चौघड़िया और मिथुन लग्न का सामान्य शुभ मुहूर्त रहेगा।
तीसरा मुहूर्त : रात्रि 11:45 से मध्य रात्रि 12:57 तक निशीथ काल और सिंह लग्न का विशेष मुहूर्त रहेगा।