जानलेवा कोरोना वायरस से अब तक चीन में लगभग 1100 से अधिक लोगों की असमय मौत हो गई है वही इस वायरस से संक्रमित 18 सौ से अधिक मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। चीन के जिस वुहान शहर को कोरोना वायरस के प्रकोप का केंद्र बताया जा रहा है, वहा नौ दिन के अंदर 1000 बिस्तर वाला सर्व सुविधा संपन्न अस्पताल का निर्माण इस हकीकत को उजागर करता है कि चीन सरकार ने स्थिति की भयावहता को भली भांति महसूस कर लिया है।
शायद इसीलिए 1000 बिस्तरों वाले इस अत्याधुनिक सुविधा संपन्न अस्पताल के अलावा 14 बिस्तर वाला एक नए अस्पताल का निर्माण भी द्रुतगति से तैयार किया जा रहा है। चीन में सरकार द्वारा कोरोना वायरस के प्रकोप पर नियंत्रण हेतु बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। एक करोड़ 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले वुहान सहित हुबेई प्रान्त के स्थानीय लोगों की कहीं भी आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस वायरस के प्रकोप से लोग इस कदर भयभीत हैं कि जो वुहान शहर की सड़कें हमेशा गुलजार रहती थी ,वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। दुकानों में ताले लटके हुए हैं और कोई दावे के साथ नहीं कह सकता है कि यह स्थिति आगे कब तक बनी रहेगी। कई देशों के द्वारा यह संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मृतकों एवं गंभीर रूप से बीमार लोगो की जो संख्या चीन सरकार द्वारा बताई जा रही है, वह एकदम विश्वसनीय नहीं है। चीन में जिस तरह खबरों के प्रचार-प्रसार पर पाबंदी लगा दी गई है, उसे देखते हुए यह स्वाभाविक है कि इस संक्रमण से होने वाली मौतों एवं गंभीर रूप से बीमार लोगों की सही जानकारी बाहर नहीं पहुंचने पा रही है।
उधर चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग में इस तरह के संदेश को निराधार बताते हुए कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में से करीब 250 स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। आयोग ने दावा किया है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार के द्वारा जो भी कदम उठाए जा रहे हैं ,उनमें पूरी तरह पारदर्शिता बरती जा रही है। वायरस के प्रकोप से जुड़ी किसी भी जानकारी को नहीं छुपाया जा रहा है।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि इस समस्या से निपटने में सरकार की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। सरकार को अपनी जिम्मेदारी का एहसास है।
चीन सरकार के दावे के बावजूद दुनिया के अनेक देशों की सरकारें यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि चीन ने इस वायरस के बढ़ते प्रकोप के बारे में शुरू से ही कुछ नहीं छिपाया। कहा जाता है कि इस वायरस के संक्रमण की शुरुआत तो गत दिसंबर माह के अंत में ही हो गई थी, जब वहां के एक अस्पताल में सात मरीजों के शरीर में किसी रहस्यमय बीमारी की शुरुआत को देखते हुए उन्हें अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था।
तब ही यह आशंका व्यक्त की गई थी कि कहीं चीन में दहशत पैदा करने वाला यह वायरस 2002 में दहशत पैदा करने वाले भयावह सोर्स का ही दूसरा रूप तो नहीं है। गौरतलब है कि उस समय उसकी वजह से लगभग 800 लोग काल के ग्रास में समा गए थे।चिकित्सकीय शोध के अनुसार कोरोना वायरस अनेक प्रकार के होते हैं, परंतु अधिकांश से लोगों की जान को कोई खतरा नहीं होता है, परंतु कोरोना वायरस का नया प्रकार जानलेवा है।
जितनी तेजी से इसके प्रकोप का दायरा बढ़ रहा है, उसे देखते हुए दुनिया के अधिकांश देशों ने अपने यहा जरूरी कदम उठाना शुरू कर दिया है। हाल ही में फिलीपींस की राजधानी मनीला में एक नागरिक को कोरोना वायरस ने मौत के मुंह में पहुंचा दिया है।
कोरोना वायरस की चपेट में आकर मरने वाला 44 वर्षीय यह नागरिक हाल ही में चीन के वुहान शहर से लौटा था। उसके साथ एक महिला भी चीन गई थी, जो कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण वहां के एक अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करा रही है। कोरोना वायरस की चपेट में आकर चीन से लौटे उक्त व्यक्ति की फिलीपींस में मौत से दुनिया के 25 से अधिक देशों में चिंता व्याप्त है। उन देशों में इस वायरस के प्रकोप से लोगों को दूर रखने हेतु अत्यंत सावधानी बरती जा रही है और चीन यात्रा पर गए या वहां रहने वाले अपने नागरिकों को तत्काल वापस बुलाना शुरू कर दिया है।
भारत ,रूस अमेरिका, इंडोनेशिया आदि देशों में चीन से वापस आए अपने नागरिकों को मेडिकल निगरानी में रखकर उनकी जांच की जा रही है,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की इस वायरस के संक्रमण ने उन्हें तो अपनी चपेट में नही ले लिया है। अभी चीन से आए भारतीयों में केवल तीन लोगों को कोरोना होने की पुष्टि हुई है। यह तीनों ही मरीज केरल के हैं। तीनों भारतीय केरल के होने के कारण केरल सरकार ने वायरस को राजकीय आपदा घोषित कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण चीन से दो विमानों में लाए गए 650 से अधिक भारतीयों में 338 संदिग्ध मरीजों के सैंपल की जांच में 335 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है और 3 मरीजों को रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
केंद्र सरकार ने चीन में कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण तत्परता पूर्वक न केवल अपने 600 से अधिक भारतीयों को स्वदेश बुला लिया है ,बल्कि स्थिति पर निगरानी के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय समूह का गठन भी कर दिया है।गौरतलब है कि केंद्र में मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल के दौरान जब विदेश मंत्री की बागडोर स्वर्गीय सुषमा स्वराज के पास थी तब भी दुनिया के किसी भी देश में संकट की स्थिति होने पर वहां फंसे भारतीयों को वापस लाने में इसी तरह केंद्र सरकार ने कार्रवाई की थी।
अमेरिका और चीन के बीच लंबे अरसे से चले आ रहे ट्रेड वार ने इन दोनों देशों के आपसी संबंधों में जो कड़वाहट पैदा कर दी थी ,उसे कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप ने और बढ़ा दिया है।
अमेरिका ने जिस तरह चीन होकर आने वाले विदेशी नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदियां लगाई है, उसपर चीन ने अपनी राय देने से कोई परहेज नहीं किया है। चीन ने आरोप लगाया कि अमेरिका इस समय अति प्रतिक्रिया देकर दहशत फैलाने चाहता है कि इस संकट की घड़ी में विश्व के दूसरे देशों को कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए चीन की मदद हेतु आगे आने चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के 146 वे सत्र में चीन ने आशा व्यक्त की है कि अमेरिका सहित अन्य देश इस वायरस से निपटने में मदद करेंगे।
गौरतलब है कि चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप की खबर के बाद अमेरिका ने इमरजेन्सी लागू करते हुए घोषणा कर दी थी कि जब तक चीन में स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक उन विदेशी नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी जिन्होंने पिछले दो सप्ताह की अवधि में चीन की यात्रा की हो। इसके अलावा जो अमेरिकी नागरिक चीन से लौट रहे हैं उन्हें भी 14 दिनों तक चिकित्सकीय निगरानी में रखा जाएगा। चीन ने अमेरिकी सरकार के इस फैसले को अनुचित बताते हुए कहा है कि यह विश्व स्वास्थ संगठन के निर्देशों का उल्लंघन है।
आश्चर्य की बात यह है कि विश्व के कई देशों ने चीन में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण ऐसे ही एहतियाती कदम उठाए हैं, परंतु चीन ने सबसे अधिक आपत्ति अमेरिकी सरकार के फैसले पर व्यक्त की है।
इसराइल सरकार ने भी चीन से आने वाले लोगों के इजराइल आने पर रोक लगा दी है। रूस ने भी अपने नागरिकों को वापस बुला लिया है। बांग्लादेश ने भी चीनी यात्रियों के लिए वीजा ऑनलाइन बंद करने का फैसला किया है। भारत सरकार ने भी चीन से आने वाले यात्रियों के लिए वीजा को अस्थाई रूप से बंद कर दिया है। यह फैसला चीनी पासपोर्ट धारकों और अन्य देशों के उन आवेदकों पर लागू होगा जो चीन में रहते हैं वही जिन्हें पहले वीजा मिल चुका है वह आवेदन भी वैद्य नही होगा।
अधिकांश देशों में चीन के बारे में यह धारणा बन चुकी है कि चीन ने जानलेवा कोरोनावायरस के प्रकोप की शुरुआत होने पर पहले इसे छुपाए रखा,लेकिन जब स्थिति भयावह हो गई, तब चीन के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था कि वह सारी दुनिया को कोरोनावायरस के प्रकोप के बारे में सब कुछ बता दे, लेकिन अभी भी चीन द्वारा इस वायरस से होने वाली मौतों एवं पीड़ित लोगों की जो संख्या बताई जा रही है, उसे विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है।
कुछ देशों में तो होटलों के बाहर "नो एंट्री फॉर चाइनीज" के बोर्ड टांग दिए गए हैं। चीन के नागरिक उड्डयन विभाग ने बताया कि 46 देशों की एयरलाइंस ने चीन के लिए अपनी उड़ाने रदद् कर दी है। अब सिर्फ उन्हीं देशों के विमान चीन जा रहे हैं, जिन्हें अपने नागरिकों को वहां से बाहर निकालना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि वायरस दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। ज्ञातव्य है कि कोरोना का रोगाणु उस परिवार का हिस्सा है, जिसके सोर्स मोर्स रोगाणु विश्व में इसके पहले सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला चुके हैं।
2019 में इसका पता लगने पर इसे 2019 नोवल कोरोना वायरस नाम दिया गया था।
शुरू में वायरस सामान्य सर्दी, बुखार आदि के रूप में अपना असर दिखाता है और उस समय पता लगाना मुश्किल है कि कोरोनावायरस की यह शुरुआत है। अधिकांश मामलों में इसकी पुष्टि तब हो पाती है, जब बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। इसके वैक्सीन की खोज करने में वैज्ञानिक जुटे हैं, परंतु जब तक खोज नही हो जाती, तब तक तो बचाव के उपाय अपनाकर इस वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। इस बात के बारे में सारी दुनिया को जागरूक किया जाए ताकि यह बीमारी महामारी का रूप न ले सके।
इस बीमारी से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर प्रयास करने होंगे, परन्तु यदि कोई देश एहतियाती कदम के रूप में चीन से लाए गए अपने नागरिकों अथवा चीन होकर आने वाले पर्यटकों को चिकित्सकीय निगरानी में रखता है तो यह सर्वथा उचित है। उस देश के इस फैसले का मतलब यह नहीं है कि वह कोरोनावायरस के बारे में भय पैदा कर रहा है। इस पर न किसी तरह का विवाद उठना चाहिए और न इसकी भयावहता को लेकर दुनिया को अंधेरे में रखा जाना चाहिए।
(लेखक WDS के राष्ट्रीय अध्यक्ष और IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है )