How to make rangoli For Diwali: दिवाली पर रंगोली बनाने की परंपरा है। दरवाजे पर, पूजा स्थल पर और अन्य विशेष जगह पर रंगोली बनाकर माता लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है। इससे त्योहार की रोनक बढ़ जाती है। कई घरों में महिलाएं या लड़कियां बहुत अच्छी और बड़ी रंगोली बनाती हैं लेकिन यदि आपको रंगोली बनाते नहीं याद है और ज्यादा समय भी नहीं है तो फाटाफट बनने वाली सिंपल रंगोली डिजाइन।
रंगोली की आकृतियों के सांचे:-
रंगोली डिजाइन बाजार में उपलब्ध अलग-अलग आकृतियों और सांचों से बनाई जाती है।
आप बाजार से अपने मनपसंद की आकृतियों का इन बने बनाए सांचे को लेकर आ जाएं।
जिसके लिए आपको हाथ से मेहनत करने की जरूररत नहीं होती।
बस सांचे में रंगोली भरकर अपने अनुसार आकृतियां उकेरी जा सकती हैं।
इसमें पहले जमीन पर छन्नी से रंगों को समान रूप से फैलाया जाता है।
उसके बाद सांचे या फिर छापों की सहायता से सफेद रंगोली का उपयोग कर आकृतियां बनाई जाती है।
यह रंगोली आपके लिए बनाना आसान भी होगा और समय की बचत भी होगी।
फूलों की रंगोली:-
रंगोली बनाने का एक बेहद खूबसूरत तरीका यह भी है कि आप रंगों से नहीं फूलों से बनाएं रंगोली की आकृतियां। दुनिया में फूलों से ज्यादा सुंदर चीज और कुछ भी नहीं।
इन्हीं रंगबिरंगे फूलों और पंखुड़ियों का प्रयोग कर जब रंगोली बनाई जाती है, तो यह न केवल आंखों को खूबसूरत दिखाई देती है, बल्कि इसकी महक से आपका मन भी इस खूबसूरती को महसूस करने लगता है।
दक्षिण भारत में खास तौर से इस तरह की रंगोली बनाई जाती है, और अब हर जगह यह प्रचलन है।
बिंदुओं की सहायता से बनाएं रंगोली:
बिंदुओं को मिलाकर बनाते हैं रंगोली।
सबसे पहले किसी भी फूल या पत्ते की आकृतियों बिंदुओं से बनाएं।
कई लयबद्ध बिंदुओं को मिलाते हुए रंगोली की कई सुंदर-सुंदर आकृति बनाएं।
यह तरीका आसान होने के कारण युवतियों के साथ ही छोटी बालिकाएं भी आसानी से रंगोली को आकार दे सकती हैं।
इसके बाद इसमें अपने अनुसार रंग भरकर इसे और भी आकर्षक बनाया जाता है। तब तैयार होती है, खूबसूरत रंगोली।
कुछ खास आकृतियां-
भूमि पर बनाई जाने वाली रंगोली में साधारणत: ज्यामितिक आकार होते हैं या फिर फूल-पत्तियां, फूल पंखुड़ियां, बेलबूटे, दीपक, शंख, हंस, तोते, तितलियां या मोर की आकृतियां होती है। देवी या देवताओं की आकृतियां बहुत कम ही बनाई जाती है।
आजकल बाजार में रंगोली बनाने के सांचे उपलब्ध है जिसके लिए आपको हाथ से मेहनत करने की जरूररत नहीं होती। बस सांचे में रंगोली भरकर अपने अनुसार आकृतियां उकेरी जा सकती हैं।
इसमें पहले जमीन पर छन्नी से रंगों को समान रूप से फैलाया जाता है, उसके बाद सांचे या फिर छापों की सहायता से सफेद रंगोली का उपयोग कर आकृतियां बनाई जाती है। वर्तमान में चौक, डॉटेड, फ्री हेंड, पंखुड़ियां, पारंपरिक अल्पना, ग्लास रंगोली, लकड़ी की रंगोली, संस्कार रंगोली, फ्लोटिंग रंगोली, पान रंगोली, मोर रंगोली, फूल रंगोली आदि का प्रचलन है।