इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि श्रीराम, मांता सीता और लक्ष्मण जी जब अयोध्या लौटे थे तो लोगों ने उनके स्वागत के लिए घरों में घी के दीपक जलाएं थे। इसी के साथ कई लोगों ने उस दिन मिट्टी का घरौंदा यानी घर भी बनाया था। साथ ही उसे कई तरह से सजाया भी था। इसे प्रतीकात्मक तौर पर नगर के बसने के तौर पर देखा जाता है। तभी से यह प्रचलन चला आ रहा है। मान्यता है कि जिसका खुद का घर नहीं होता है तो इस घरौंदे की पूजा करने से अलगे वर्ष के पहले उसका खुद का मकान भी बन जाता है।
गौरतलब है कि कई लोग मिट्टी के बने हुए घरौंदे में मिठाई, फूल, खील और बताशे भी रखते हैं। इसके आगे रंगोली भी बनाई जाती है। कई लोगों का यह भी मानना है कि इस दिन मिट्टी के घरौंदा बनाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही इससे घर में सुख-समृद्धि भी आती है। इस वजह से इसे बनाना बहुत शुभ माना जाता है। कई लोग इस मिट्टी के घरौंदे पर कई तरह के रंग से पेंट भी करते हैं और लाइट्स से भी सजाते हैं और दीपक से इसे रौशन करते हैं।