बीमारियों की असली वजह हैं हेल्दी दिखने वाले ये फल, डाइटिशियन से जानें इन फलों का सच

ईशु शर्मा
Ripened Fruits Side Effects
  • फलों को कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जाता है जो भारत में बैन है।
  • पहले से पकाए गए फल डायबिटीज का कारण बन सकते हैं।
  • इनका ज्यादा सेवन करने से वजन और यूरिक एसिड बढ़ सकता है।
Ripened Fruits Side Effects: इन गर्मियों के मौसम में जिन फलों का आप लुफ्त उठा रहे हैं वो जहर का काम कर रहे हैं। सीजन से पहले आम आना, तरबूज बहुत ज्यादा मीठा होना, पपीते में बीज न होना, फल खरीदते वक़्त क्या आपने कभी इन चीज़ों पर गौर किया है? दरअसल फलों को जल्दी पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड नामक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है।

FSSAI द्वारा इस केमिकल को बैन किया गया है लेकिन बाजारों में यह खुलेआम बिक रहा है। इस बारे में वेबदुनिया की टीम ने पड़ताल की और फ़र्टिलाइज़र की दुकानों पर कस्टमर बनकर कैल्शियम कार्बाइड व अन्य केमिकल के बारे में पूछताछ की। ALSO READ: 50 रुपए की ये पुड़िया फलों को बना रही जहर, प्रतिबंध के बावजूद बाजार में मिल रहा कैल्शियम कार्बाइड
 
कैल्शियम कार्बाइड से फल सिर्फ 3 दिन में पक जाता है। बैन होने के कारण बाज़ार में इसके भाव 2000 रूपए किलो हैं। FSSAI ने कार्बाइड के साइड इफेक्ट्स देखकर इसे बैन करने का फैसला किया है। इससे पकाए जाने वाले फल खाने से आपको पेट संबंधी समस्या, उल्टी, चक्कर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

हालांकि ये बीमारियां FSSAI द्वारा बताई गई हैं लेकिन पहले से पकाए गए फलों का सेवन और भी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इस बारे में वेबदुनिया ने डाइटिशियन डॉ प्रीति शुक्ला से बात की और जाना कि कैसे ये फल हमारी हेल्थ को बर्बाद कर रहे हैं।
 
ब्लड में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ना:
डॉ प्रीति के अनुसार पहले से पकाए गए फलों में बहुत ज्यादा मात्रा में शुगर मौजूद होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कैल्शियम कार्बाइड और अन्य केमिकल, फलों में मिठास बढ़ाते हैं। इस कारण से शरीर में ग्लूकोस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिससे डायबिटीज का खतरा रहता है। ALSO READ: जो चीज़ आपकी प्‍लेट में परोसा जा रहा जानते हैं कितना खतरनाक है हेल्‍थ के लिए, जानिए डायटीशियन से
 
वजन और यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या:
डॉ प्रीति ने बताया कि पहले से पकाए गए फलों को खाने से वजन कम नहीं होता बल्कि बढ़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ती है जिससे वजन भी बढ़ने लगता है। इस कारण से जायदा फल खाने से आप मोटापे का शिकार हो सकते हैं। इतने ज्यादा फल और इनमें मौजूद शुगर यूरिक एसिड को भी बढ़ाती है।
नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या:
डॉ प्रीति के अनुसार अधिकतर नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर के केस में सबसे बड़ा कारण फल ही है। ज्यादा फ्रूट्स खाने से लिवर में ग्लाइकोजन जमता है। ग्लाइकोजन जमने के कारण फैटी लिवर की समस्या होती है।
 
स्किन के लिए भी खतरनाक:
हम अक्सर सोचते हैं कि फल खाने से हमारी स्किन ग्लोइंग और क्लियर बनेगी लेकिन ऐसा नहीं है। इन फलों को खाने से स्किन एलर्जी, एक्ने, मुंहासे, खुजली, सूजन, डैंड्रफ की समस्या हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादा शुगर खाने से शरीर में इन्फ्लेमेशन बढ़ता है जिससे स्किन संबंधी समस्याएं होती हैं।
 
प्रेगनेंसी में डायबिटीज का खतरा:
डॉ प्रीति के अनुसार प्रेगनेंसी में भी फलों का सिमित ही सेवन करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि केमिकल से पकाए गये फलों में बहुत ज्यादा मिठास होती है जिससे प्रेग्नेंट महिला में डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है। इस कारण से कई महिलाएं प्रेगनेंसी के बाद डायबिटीज की चपेट में आ जाती हैं।
हर दिन सिर्फ इतने ग्राम खाएं फल:
डॉ प्रीति ने बताया कि हर दिन सिर्फ 100 ग्राम ही फल खाने चाहिए। सोशल मीडिया और इंटरनेट के कारण लोग फल को लेकर भ्रमित हो रहे हैं। कई लोग पूरे दिन सिर्फ फल ही खाते हैं। एक साधारण इन्सान को सिर्फ 100 ग्राम फल की ही ज़रूरत होती है। जब भी फलों को खाएं तो उन्हें अच्छे से धोएं। साथ ही मोटे छिलके वाले फलों को हमेशा छीलकर ही खाएं।
 
कैल्शियम कार्बाइड के अलावा भी पपीता, आम और केले जैसे जल्दी खराब होने वाले फलों को स्टोर करने के लिए ethylene गैस का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही लोकी जैसी सब्जियों को बड़ा करने के लिए ऑक्सीटोसिन नामक इंजेक्शन भी लगाया जाता है। इसलिए आर्गेनिक सब्जी या फल का सेवन ही आपकी हेल्थ के लिए बेहतर है। किसी भी चीज़ का ज़रूरत से ज्यादा सेवन न करें। 
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