ashadi ekadashi puja vidhi: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी तथा हरिशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को विधिवत रूप से आरती भोग आदि लगाकर सुलाया जाता है। आओ जानते हैं कि आषाढ़ी देवशयनी एकादशी पूजा की शास्त्र सम्मत विधि।
• एकादशी तिथि प्रारंभ: 5 जुलाई 2025 को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर
• एकादशी तिथि समाप्त: 6 जुलाई 2025 को रात 09 बजकर 14 मिनट पर होगा।
• पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- रात 11:10 मिनट पर।
1. षोडशोपचार पूजा: 1. पाद्य, 2. अर्घ्य, 3. आचमन, 4. स्नान, 5. वस्त्र, 6. आभूषण, 7. गंध, 8. पुष्प, 9. धूप, 10. दीप, 11. नैवेद्य, 12. आचमन, 13. ताम्बूल, 14. स्तुतिपाठ, 15. तर्पण और 16. नमस्कार।
2. दश उपचार दशोपचार: पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र निवेदन, गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।
3. पंचोपचार पूजन: 1. गंध, 2. पुष्प, 3. धूप, 4. दीप और 5. नैवेद्य के बाद आरती।
आषाढ़ी एकादशी पूजा विधि:
- अर्थात्, हे प्रभु आपके जगने से पूरी सृष्टि जग जाती है और आपके सोने से पूरी सृष्टि, चर और अचर सो जाते हैं। आपकी कृपा से ही यह सृष्टि सोती है और जागती है, आपकी करुणा से हमारे ऊपर कृपा बनाए रखें।