पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2022) की कथा महर्षि वशिष्ठ ने प्रभु श्री रामचंद्र जी से कही थी। धार्मिक ग्रंथों में मोहिनी एकादशी की तिथि अत्यंत शुद्ध तथा पवित्र मानी गई है। इस एकादशी के दिन व्रत-उपवास रखने से यह पूरे वैशाख मास के दान का पुण्य देती है। वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की यह एकादशी समस्त पाप और दुखों का नाश करने वाली तथा सौभाग्य और धन का आशीर्वाद देने वाली मानी गई है। इसका व्रत करने से मनुष्य सब मोहजाल से मुक्त हो जाता है।
यहां पढ़ें पौराणिक एवं प्रामाणिक व्रत कथा-Ekadashi Katha 2022
मोहिनी एकादशी व्रत की कथा के अनुसार सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम की एक नगरी में द्युतिमान नामक चंद्रवंशी राजा राज करता था। वहां धन-धान्य से संपन्न व पुण्यवान धनपाल नामक वैश्य भी रहता है। वह अत्यंत धर्मालु और विष्णु भक्त था। उसने नगर में अनेक भोजनालय, प्याऊ, कुएं, सरोवर, धर्मशाला आदि बनवाए थे। सड़कों पर आम, जामुन, नीम आदि के अनेक वृक्ष भी लगवाए थे। उसके 5 पुत्र थे- सुमना, सद्बुद्धि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्धि।
इनमें से पांचवां पुत्र धृष्टबुद्धि महापापी था। वह पितर आदि को नहीं मानता था। वह वेश्या, दुराचारी मनुष्यों की संगति में रहकर जुआ खेलता और पर-स्त्री के साथ भोग-विलास करता तथा मद्य-मांस का सेवन करता था। इसी प्रकार अनेक कुकर्मों में वह पिता के धन को नष्ट करता रहता था।
वह नगरी से निकल वन में चला गया। वहां वन्य पशु-पक्षियों को मारकर खाने लगा। कुछ समय पश्चात वह बहेलिया बन गया और धनुष-बाण लेकर पशु-पक्षियों को मार-मारकर खाने लगा। एक दिन भूख-प्यास से व्यथित होकर वह खाने की तलाश में घूमता हुआ कौडिन्य ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उस समय वैशाख मास था और ऋषि गंगा स्नान कर आ रहे थे। उनके भीगे वस्त्रों के छींटे उस पर पड़ने से उसे कुछ सद्बुद्धि प्राप्त हुई।
वह कौडिन्य मुनि से हाथ जोड़कर कहने लगा कि हे मुने! मैंने जीवन में बहुत पाप किए हैं। आप इन पापों से छूटने का कोई साधारण बिना धन का उपाय बताइए। उसके दीन वचन सुनकर मुनि ने प्रसन्न होकर कहा कि तुम वैशाख शुक्ल की मोहिनी नामक एकादशी का व्रत करो। इससे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। मुनि के वचन सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और उनके द्वारा बताई गई विधि के अनुसार व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सब पाप नष्ट हो गए और अंत में वह गरुड़ पर बैठकर विष्णुलोक को गया।