धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जितना पुण्य कन्या दान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान करने के बाद मिलता है, उससे कहीं ज्यादा फल षटतिला एकादशी पर व्रत-उपवास करने पर मिलता है। इस दिन तिल का उपयोग पूजा, हवन, प्रसाद, स्नान, स्नान, दान, भोजन और तर्पण में किया जाता है। इस दिन तिल के दान का विधान होने के कारण ही यह षटतिला एकादशी कहलाती है।