प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास

WD Feature Desk

गुरुवार, 5 जून 2025 (12:53 IST)
जिम्मी व जनक मगिलिगन फाउंडेशन फार सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित पर्यावरण संवाद  सप्ताह की थीम थी प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास। इस थीम की घोषणा UNEP द्वारा वर्ष 2025 के लिये की गई।
 
इस एक सप्ताह के जन-जागरूकता संवाद का 6वाँ दिन वैद्य शेफाली के आयुर्वेद चिकित्सालय कैवल्य वेलनेस हब, सिल्वर स्प्रिंग में आयोजित किया गया- जिसमें विषय था:- "स्वस्थ जीवन शैली से प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करें"। कार्यक्रम के प्रारम्भ में डा.(श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन जी ने प्रार्थना से शुरू किया और बताया कि कैसे उनकी पर्यावरण के साथ नाता हुआ बरली आदिवासी लड़कियों को पढ़ाने व झाबुआ जिले में नारू की बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने से। आपने बताया कि 1992 में जब आप पहली बार रियो-डी-जनेरो में गई, तो पता चला कि धरती के स्तर पर पर्यावरण की क्या स्थितियाँ बन रही हैं।
 
तब से उन्होंने अपनी जिन्दगी को पुनः परिभाषित किया कि मैं मानव में सद्भावना के साथ सभी जीव-जगत के साथ काम करूँगी। उन्होंने अपने जीवन में दो बार बंजर भूमि के साथ काम किया और खुद समृद्धि को पाया। डा. जनक पलटा जी ने सुझाया कि सम्पूर्ण सिल्वर स्प्रिंग मिलकर किसी भी सामूहिक कार्यक्रम में बन्द प्लास्टिक बोतलों में पानी नहीं देंगे बल्कि गिलास में देंगे। सोसायटी के स्तर पर बर्तन-बैंक की सुविधा उपलब्ध की जा सकती है जहाँ से बर्तन उपलब्ध कराये जा सकते हैं।
 
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सिल्वर स्प्रिंग रहवासी सोसायटी के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह तोमर जी ने बताया कि कैसे प्लास्टिक को कम से कम प्रयोग करने के तरीके व सोसाइटी में प्रयासरत हैं।
 
उसके प्श्चात मुख्य वक्ता प्रोफेसर जयश्री सिक्का थीं जिन्होंने वनस्पति शास्त्र का अध्यापन गुजराती कालेज में किया है। उन्होंने प्लास्टिक विज्ञान से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मृत्यु पश्चात एक गाय के पेट में 60 किलो प्लास्टिक पाया गया । इस प्रकार की दर्दनाक खबरों से हमें पुनः सोचना चाहिए कि मानवकृत प्लास्टिक से मुक्ति कैसे मिले! जयश्री सिक्का जी ने हमें अवगत कराया कि दूरगमन से लेकर खिलौने, आहार, कपड़े तक में प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है। पूरे विश्व में प्लास्टिक के उत्पादन का 18% उत्पादन भारत मे हो रहा है। 
 
सामान खरीदते समय प्लास्टिक में ही इनकी पैकेजिंग भी है। यहाँ तक कि ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने पर प्लास्टिक के बर्तनों में ही यह आता है। इनमें रखा हुआ खाना खाने से यह हमारे शरीर में माइक्रो-प्लास्टिक के रूप में प्रवेश कर जाता है। खाने के पश्चात, हम इन प्लास्टिक के बर्तनों को फेंक देते हैं। वह कहाँ जाता है? वह हमारी जमीन व समुद्रों में ही जाता है।
 
धरती के समुद्रों में 3 बड़े 'कूड़े के सूप'बन गये हैं, जिनमें से सबसे बड़ा 'कूड़ा सूप' प्रशान्त महासागर में फ्रांस के क्षेत्रफल से ३ गुना बड़ा है। प्लास्टिक का उपयोग खेती में किया जा रहा है 'मल्चिंग' के लिये, जो कि मिट्टी में ही मिला दिया जाता है। इसके लिए हम सब क्या-क्या कर सकते हैं:- Reduce, Replace, Recycle, Recover, Redisgn, Refuse.
 
तत्पश्चात् वैद्य शेफाली ने कहा कि सस्टेनेबल जीवन शैली की शुरुआत हमारे रात के सोने व सवेरे जागने से प्रारम्भ होती है। रात को सोना व सवेरे जागने में हमारी ताल सूर्य के ताल से मिलनी चाहिये। सवेरे पानी पीने के लिये व पानी रखने के लिये प्लास्टिक के बजाय स्टील का, अथवा काँच की बोतल का, उपयोग कर सकते हैं। प्लास्टिक ब्रश के बजाय लकड़ी का ब्रश, और टूथपेस्ट के बजाय दंतमंजन व नीम के दातुन का विकल्प चुन सकते हैं। इन सभी चुनावों के पीछे अपनी मानसिक तैयारी व प्रयोगशीलता को आजमाने से हम अपने जीवन में परिवर्तन दृढ़ता से ला पाते हैं। अपने कपड़े के बैग, लकड़ी के कंधे, और सूखे तुरई के झाँवे को अपने जीवन में आजमाएं और खुद 'नवीन ट्रेंड' को सेट करें। जैविक आहार को चुनें जो कि इंदौर शहर के जैविक सेतु में उपलब्ध किया जा रहा है। 'अपना पैसा सोने को पहनने में लगाने के बजाय, अपने स्वास्थ्य में लगायें। सोने जैसा खाना खायें।' 
 
इसके पश्चात् वैद्य शेफाली द्वारा लिखित पुस्तक का उद्घाटन किया गया जो कि आयुर्वेद व जीवन की लय (Harmonics of Life) पर अंग्रेजी में है। अंत में 30 लोगों ने संकल्प लिया कि वे कैसे प्लास्टिक का उपयोग कम करेंगे - जैसे बंद प्लास्टिक बोतल में से स्वयं पानी नहीं पियेंगे, अपनी रसोई को प्लास्टिक मुक्त करेंगे, इत्यादि।

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