क्या है लक्षद्वीप यात्रा के पीछे पीएम मोदी का मकसद
क्या ये मास्टर स्ट्रोक चीन और मालदीव के लिए खतरे की घंटी है
लोकल फॉर वोकल से लेकर पयर्टन तक, क्या है मोदी का प्लान
PM Narendra Modi in Lakshadweep: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में लक्षद्वीप दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने गुरुवार को लक्षद्वीप दौरे की कुछ तस्वीरें शेयर कीं। इन तस्वीरों में वे स्नॉर्कलिंग और मॉर्निंग वॉक करते नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए भारतीयों से लक्षद्वीप घूमने की अपील की है।
पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग अपने अंदर के रोमांच को अपनाना चाहते हैं, उनके लिए लक्षद्वीप आपकी लिस्ट में होना चाहिए। लेकिन पीएम की इस यात्रा के बाद सोशल मीडिया पर मालदीव ट्रेंड कर रहा है। बता दें कि मालदीव लक्षद्वीप से करीब 754 KM दूर है। दरअसल, पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा ऐसे वक्त पर हुई है, जब भारत और मालदीव के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। रिश्तों में इस खटास के पीछे मालदीव राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू हैं। मुइज्जू चीन समर्थित नेता हैं। हाल ही में चुनाव में जीत के बाद वे मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए हैं। मुइज्जू ने राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ही भारत से मालदीव में तैनात अपने सैनिकों को बुलाने की बात कही।
ऐसे में पीएम मोदी की लक्षद्वीप के कई राजनीतिक मायने सामने आ रहे हैं। जानकार भी इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगा रहे हैं। क्या मोदी का यह कदम मालदीव के लिए बड़ा झटका हो सकता है?
लक्षद्वीप: केरल कनेक्शन : पीएम मोदी के लक्षद्वीप यात्रा के पीछे केरल कनेक्शन भी देखा जा रहा है। दरअसल, भाजपा केरल में चुनाव में अब तक कोई उल्लेखनीय सफलता प्राप्त नहीं कर पाई है। ऐसे में पार्टी की इस राज्य पर लंबे समय से नजर है। भाजपा केरल को एक तरह से अपना राजनीतिक गढ़ बनाने के प्रयास में है। ऐसे में इस राज्य में राजनीतिक एंट्री करने के लिए लक्षद्वीप ही एक रास्ता है। पीएम मोदी का यह कदम इस दिशा में अहम साबित हो सकता है।
बता दें कि केरल मेनलैंड इस केंद्र शासित प्रदेश से सबसे नजदीक है और लक्षद्वीप अपनी कई जरूरतों के लिए इस राज्य पर निर्भर रहता है। दोनों राज्यों के लोग करीबी सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं। लक्षद्वीप में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा भी मलयालम है।
एयर फोर्स स्टेशन का प्लान : लक्षद्वीप की कूटनीतिक अहमियत को देखते हुए भाजपा सरकार यहां एक एयर फोर्स स्टेशन स्थापित करने के बारे में भी विचार कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की चीन से नजदीकी बढ़ती जा रही है। ऐसे में रक्षा उद्देश्य से यहां एक एयरपोर्ट बनाने पर भी विचार किया जा रहा है। इस एयरपोर्ट का इस्तेमाल आम नागरिक भी कर पाएंगे।
मालदीव से चीन की नजदीकी : मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद मालदीव की नजदीकी चीन से बढी है। मुइज्जू का रूख भारत के खिलाफ रहा है। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने मालदीव की परंपरा को तोडते हुए भारत यात्रा के बजाए तुर्की की यात्रा की थी। इन सारी घटनाओं के बाद से भारत और मालदीव में खटास भी बढ़ी है। ऐसे में भारत मालदीव के साथ ही चीन को भी राजनीतिक, आर्थिक और पर्यटन के लिहाज से मैसेज देना चाहता है। मोदी का यह दाव सीधे मालदीव के साथ ही चीन को लगेगा। बता दें कि पड़ोसी श्रीलंका और मालदीव में चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं।
लक्षद्वीप का पर्यटन एंगल : लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। यह एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है। लक्षद्वीप भी हिंद महासागर में स्थित है, यह मालदीव के काफी करीब है, ऐसे में दोनों में खूबसूरती से लेकर मौसम तक कई समानताएं हैं।
वैसे तो लक्षद्वीप में भी देश विदेश से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं, लेकिन मालदीव की तुलना में यह काफी कम है। ऐसे में यह लोगों के लिए भीड़ भाड़ वाले टूरिस्ट डेस्टिनेशन मालदीव से बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इतना ही नहीं लक्षद्वीप, भारत में है, इसलिए यह मालदीव की तुलना में सस्ता और बेहतर डेस्टिनेशन है। हाल ही में भारत में पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है, ऐसे में पीएम मोदी का पर्यटकों को लक्षद्वीप की तरफ घूमने- फिरने का इशारा करना पर्यटन के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। बुधवार को पीएम मोदी ने 1150 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी। यह डवलेपमेंट के लिहाज से अहम है।
लोकल फॉर वोकल : बता दें कि भारत से मालदीव के लिए बड़ी संख्या में पर्यटन जाते हैं। ऐसे में भारत से बड़ा रेवेन्यू मालदीव को पर्यटन कमाई के तौर पर जाता है। ऐसे में मालदीव की तुलना में पीएम मोदी भारत के लक्षद्वीप को डेवलप करना चाहते हैं। एक तरह से राष्ट्रपति मुइज्जू को मोदी का यह सीधा संदेश है। आपको याद होगा कि इसके पहले भी पीएम मोदी जनता से देश के भीतर ही वेडिंग डेस्टिनेशन चुनने की अपील कर चुके हैं। यानी पीएम ने लोगों से कहा था कि वे देश में शादियों के लिए तमाम शहर, पर्यटन स्थलों का इस्तेमाल करे, ताकि लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा दिया जा सके।
पिछली सरकारों पर निशाना : बता दें कि लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती में परियोजनाओं की घोषणा करते समय पीएम मोदी ने एक तरह से पिछली सरकारों को भी निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से केंद्र में रही सरकारों की प्राथमिकता दशकों तक केवल अपनी पार्टी का फायदा रही है। दूरदराज के राज्यों, सीमाई इलाकों और समुद्र में मौजूद राज्यों पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया गया।
क्या कहा पीएम मोदी ने : इसी दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमारी सरकार ने सीमाई इलाकों और समुद्री राज्यों को अपनी प्राथमिकता बनाया है। 2020 में मैंने गारंटी दी थी कि आपको अगले 1000 दिन के अंदर तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल जाएगी। आज कोच्चि-लक्षद्वीप सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर प्रोजेक्ट का उद्घाटन हो गया है। अब यहां इंटरनेट की स्पीड 100 गुना तेज होगी।
क्या है लक्षद्वीप : बता दें कि 32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला लक्षद्वीप 36 छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। यह भाजपा के ग्रांड इंडिया प्रोजेक्ट का एक छोटा सा हिस्सा लगता लगता है। यह पर्यटन के लिहाज से अहम जगह है। एक केंद्र शासित प्रदेश की तरफ रूख करने का मतलब यह भी हो सकता है कि नरेंद्र मोदी भाजपा के सबका साथ सबका विकास वाले नारे को बुलंद कर रहे हैं।
Edited By : Navin Rangiyal