कैसी होगी डिजिटल करेंसी? क्या होगा फायदा और लोगों को किस बात का सता रहा है डर?

नृपेंद्र गुप्ता
सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 (08:34 IST)
रिजर्व बैंक इस साल दिसंबर तक डिजिटल करेंसी जारी कर देगा। लोगों को जागरूक करने के लिए शीर्ष बैंक ने कॉन्सेप्ट नोट भी  जारी किया। ई-रुपी आने के बाद आपको नकदी की आवश्यकता नहीं होगी और आप इसे अपने पर्स में भी रख सकेंगे। इस नोट में आरबीआई ने कहा कि इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि डिजिटल करेंसी से वित्तीय प्रणाली में कोई रुकावट न आए और संभावित किसी भी समस्या का असर ना के बराबर रहे। इसके मद्देनजर डिजिटल करेंसी को जारी करने की व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला गया है। रिजर्व बैंक जल्द ही सिमित मात्रा में पायलट डिजिटल करेंसी जारी करेगा। कॉन्सेप्ट नोट में तकनीक, डिजाइन चॉइस, डिजिटल करेंसी के उपयोग आदि पर भी विस्तार से बात की गई है। जानिए क्या है सीबीडीसी, भारत में क्या है इसका भविष्य और क्या होगा इससे फायदा? 
 
क्या है CBDC : डिजिटल करेंसी एक वर्चुअल करेंसी है, जिसे ऑनलाइन वॉलेट में ही रखा जा सकता है। ये फिजिकल मोड में नहीं होती। कुछ डिजिटल करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड होती है और इन पर किसी का नियंत्रण नहीं रहता। कुछ को सरकार की मान्यता होती है। ऐसी डिजिटल करेंसी को जिसे सरकार से मान्यता प्राप्त होती है, उसमें जोखिम कम होता है। इसे सॉवरेन मुद्रा में यानी उस देश की करेंसी में बदला जा सकता है। इन्हें सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) कहते हैं। क्रिप्टोकरेंसी के साथ यह सुविधा नहीं मिलती है। डिसेंट्रलाइज्ड होने की वजह से इस पर किसी का नियंत्रण नहीं रहता। भारत सरकार 2 तरह डिजिटल करेंसी CBDC-R और CBDC-W लाने की तैयारी कर रही है। CBDC-R कैश के करीब होगी तो CBDC-W अकाउंट बेस्ड होगी।
 
क्यों जरूरी है सीबीडीसी : भारत ही नहीं दुनिया के कई बड़े देश अपनी सीबीडीसी लांच करने की तैयारी कर रहे हैं। पैसों में बड़ी ताकत होती है और सरकार किसी भी स्थ‍िति में उस पर अपना नियंत्रण नहीं छोड़ सकती। क्रिप्टोकरेंसी का गलत इस्तेमाल होने के काफी चांस है जैसे मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फंडिंग में इसका यूज हो सकता है। वहीं रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी का दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा।
 
डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में यह देश : बहामास, ट्यूनीशिया, जमैका, नाइजीरिया समेत करीब 11 देशों में डिजिटल करेंसी  का इस्तेमाल हो रहा है। दुनियाभर में करीब 81 देश अपनी खुद की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें से चीन, जापान, रूस, दक्षिण कोरिया, स्वीडन आदि 14 देशों में तो डिजिटल करेंसी पर ट्रायल शुरू हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन  समेत कई अन्य देश भी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में है।
 
डिजिटल करेंसी के फायदे : कहा जा रहा है कि RBI एक ऐसी डिजिटल करेंसी लाएगा जो उसके द्वारा या किसी और सरकारी  रेगुलेटरी संस्था द्वारा सत्यापित होगी और देश में लेन-देन के लिए कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त होगी। इससे कैशलेस पेमेंट  किया जा सकेगा, प्राइवेसी बरकरार रहेगी और नकदी पर निर्भरता कम होगी। कहा जा रहा है कि सबसे पहले इसका इस्तेमाल  थोक कारोबार में किया जाएगा। बाजार विशेषज्ञ योगेश बागौरा के अनुसार, UPI की तरह ही डिजिटल करेंसी से भी 1 नंबर में ट्रांजेक्शन बढ़ेगा। बैंकों का लोड कम होगा। इसे रखने पर आपको ब्याज भी मिलेगा।
 
पायलेट प्रोजेक्ट में 4 बैंक : पॉयलेट प्रोजेक्ट के लिए देश के 4 सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को शामिल किया गया है। ई-रुपी 2 तरह का होगा। खुदरा इस्तेमाल के लिए रिटेल और थोक कारोबार में इस्तेमाल के लिए होलसेल ई-रुपी। रिटेल ई-रुपी का इस्तेमाल प्राइवेट सेक्टर के लोगों समेत सभी कर सकेंगे जबकि होलसेल ई-रुपी का इस्तेमाल चुनिंदा वित्तिय संस्थान ही कर सकेंगे। 
 
क्या है लोगों का डर : बागौरा ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा को लेकर ही है। यह भी बड़ा सवाल है कि डिजिटल करेंसी किस तरह की होगी। क्या क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही इसकी भी माइनिंग की जाएगी। या किसी अन्य तरह की करेंसी निकाली जाएगी। इसे किस प्रकार रेगुलेट किया जाएगा। इसका वैल्यूएशन रुपए के समकक्ष रहेगा या अलग रहेगा। लोगों को इस बात की चिंता भी सता रही है कि कहीं सरकार इसके इस्तेमाल पर भी टैक्स तो नहीं लगा देगी।
 
यह सवाल उठ रहा है कि हवाला, ड्रग्स माफिया, हथियार माफिया को सरकार इसका इस्तेमाल करने से कैसे रोकेगी? यूपीआई पैमेट तो अकाउंट से होता है। लेकिन जिस व्यक्ति के पास डिजिटल करेंसी वह इसे कही भी और कैसे भी इस्तेमाल कर सकता है।
 
करेंसी मार्केट पर असर : आने वाला समय डिजिटल करेंसी का रहेगा और करेंसी मार्केट पर इसका सीधा असर होगा। आरबीआई ने भी अपने कॉनसेप्ट नोट में कहा है कि डिजिटल करेंसी के मौद्रिक नीति, लिक्विडिटी मैनेजमेंट, वित्तिय स्थिरता, बैलेंसशीट पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच की जाएंगी।
 
बहरहाल डिजिटल करेंसी के बाजार में आने पर ही साफ होगा कि यह किस तरह की होगी और इसका बाजार के साथ ही आम आदमी की जेब पर क्या असर होगा।

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