15 साल की सत्ता कैसे 45 मिनट में हुई ध्‍वस्‍त, पढ़िए बांग्‍लादेश के उदय से लेकर पतन तक की कहानी

Story Of Rise and Fall Of Bangladesh: 5 अगस्‍त 2024 से लेकर अब तक बांग्‍लादेश से जो भी दृश्‍य सामने आ रहे हैं, वे श्रीलंका और अफगानिस्‍तान की बर्बादी की याद दिला रहे हैं। 5 अगस्‍त को जैसे ही प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्‍तीफा दिया और जैसे ही उनके हेलिकॉप्‍टर में बैठकर भारत आने की खबर आई, उतने वक्‍त में बांग्‍लादेश का सिस्‍टम ताश के पत्‍तों की तरह ढह गया।

अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान के बनाए बांग्‍लादेश में जिस सत्‍ता को शेख हसीना ने पिछले 15 साल से संभाल रखा था सेना ने उसका तख्‍ता पलट कर दिया। हसीना को बांग्‍लादेश से भागने का सिर्फ 45 मिनट का वक्‍त दिया गया। इन 45 मिनटों में बांग्‍लादेश के कट्टरपंथी उपद्रवी संसद में घुस गए। इसके बाद जो दृश्‍य वहां से सामने आए वो लॉ एंड ऑर्डर और दुनियाभर के लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली कहानी में दर्ज हो गए।

They looted everything at Sheikh Hasina's residence pic.twitter.com/OhXlnKZ8cN

— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) August 5, 2024
कबिलियाई में बदला बांग्‍लादेश : उपद्रवियों ने संसद से लेकर पीएम हाउस तक में तोड़फोड़ कर तहस नहस कर दिया। वहां ऐसी लूटपाट मची कि देखकर लगा कि यह कोई कबिलियाई देश है। उपद्रवी, कट्टरपंथी और बगावती भीड़ ने संसद और पीएम दफ्तर का हर वो सामान लूट लिया, जो उनकी आंखों के सामने आया। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कई सांसदों के घर, दफ्तर और मंत्रियों के घर पर भी हमला हुआ और आगजनी की गई। बांग्लादेश में चार हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाया गया है। कई हिंदुओं को मारने और हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी की खबरें आने लगी हैं।

लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली कहानी : बांग्‍लादेशी संसद से जो दृश्‍य सामने आए उनमें लूटपाट और आगजनी साफ नजर आई। संसद और पीएमओ में रखी तस्‍वीरें तोड़ दी गईं। वहां रखे सोफा, कुर्सियां, पलंग, फर्नीचर, बिस्‍तर, पंखे, टीवी, गमले लूट लिए गए। गण भवन यानी बांग्‍लादेश के पीएमओ में लोग बिस्‍तर पर लेटकर सेल्‍फी और वीडियो बनाने लगे। यहां तक कि संसद में संरक्षित जानवर जैसे खरगोश, बतख और अन्‍य जानवरों को भी लोग लूट ले गए। बेशर्मी की हद तो तब हुई जब शेख हसीना के सरकारी बंगले से उनकी साड़ियां, ब्‍लाउज और यहां तक कि ब्रा और दूसरा सामान लोग लूटकर ले जाते नजर आए। कुछ तो पीएम हाउस के किचन में तैयार रखा चिकन और खाना खाते दिखे।

The reason they want their women to be in Full length burqa even in an Islamic country is because they know no other community is as pervert and creep then them

Look at these sick predators pic.twitter.com/Uk5YQXcush

— Ninda Turtle (@NindaTurtles) August 5, 2024
उपद्रवियों ने तोड़ी मुजीबुर रहमान की मूर्ति : शेख मुजीबुर रहमान वो नायक थे, जिसने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्‍तान से आजादी दिलाई थी। उन्‍हें वहां राष्ट्रपिता की पदवी दी गई थी। ठीक वही जो भारत में महात्‍मा गांधी को मिली। लेकिन महज 5 दशक के भीतर वहां कट्टरपंथ इतना हावी हो गया कि ढाका में बांग्लादेश के लोग ही शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति पर चढ़ गए और उसे हथौड़े से तोड़ने लगे। उन्‍हें जेसीबी और बुलडोजर से तोड़ दिया। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्‍या हुआ कि बांग्‍लादेश के संस्‍थापक और बंग बंधु कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान से इतनी नफरत हो गई।

SHOCKING Bangladesh Army chief, Waker-Uz-Zaman, is the relative of Sheikh Hasina.

He ousted her not only from power but also from the country.

He gave Sheikh Hasina just 45 minutes to resign and flee the country.

In the career spanning nearly 30 years, Zaman has worked… pic.twitter.com/qtyYiJBV2z

— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) August 6, 2024
45 मिनट में ध्‍वस्‍त 15 साल की सत्‍ता : आरक्षण को लेकर बांग्‍लादेश में हो रहे प्रदर्शन और शेख हसीना के इस्‍तीफे की मांग के बीच जैसे ही तख्‍ता पलट की खबर पर मुहर लगी, शेख हसीना को बांग्‍लादेश छोड़ने के लिए सिर्फ 45 मिनट का वक्‍त दिया गया। हसीना अपने दो सुटकेस और अपनी बहन के साथ हेलिकॉप्‍टर से अपने सबसे विश्‍वसनीय और मित्र देश भारत आईं। वह C-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से सोमवार को वह ढाका से त्रिपुरा के अगरतला के रास्ते भारत पहुंचीं। बांग्‍लादेश से भारत आने के उनके 45 मिनट के वक्‍त में बांग्‍लादेश की सूरत और सीरत दोनों बदल गई। इस बीच बांग्‍लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकर उज़ ज़मान ने प्रेसवार्ता कर कहा— शेख हसीना ने इस्‍तीफा दे दिया है, अब बांग्‍लादेश को सेना संभालेगी और हम जल्‍द ही अंतरिम सरकार बनाएंगे।

जब प्रेसवार्ता में यह बयान टीवी चैनलों पर चल रहा था, ठीक उसी वक्‍त शेख हसीना भारत में राजधानी दिल्‍ली के पास सटे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड कर रही थीं। इस दृश्‍य के साथ ही बांग्‍लादेश की 15 साल की स्‍थिर सत्‍ता 45 मिनट में ध्‍वस्‍त हो गई।

हिंडन एरयबेस में शेख हसीना : शेख हसीना जब गाजियाबाद के हिंडन एरयबेस पहुंचीं तो उसके बाद उनको एक सेफ हाउस भेज दिया गया। उनका विमान अब भी वहीं एरयबेस पर ही मौजूद है। उनके आने के बाद से भारत सरकार में बैठकों का दौर जारी है। हिंडन में एनएसए अजीत डोभाल, पश्चिमी वायु कमान प्रमुख एयर मार्शल पंकज मोहन सिन्हा समेत शीर्ष खुफिया और सैन्य अधिकारियों के साथ शेख हसीना से मिलने पहुंचे। दोनों के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई। शेख हसीना 6 अगस्‍त की रात को भी भारत में ही रहेंगी।

क्‍या हसीना को ये गलती भारी पड़ी : दरअसल, एक साल पहले भारत ने हसीना को आगाह भी किया था। भारत ने कहा था कि वे जनरल वकर उज़ ज़मान को सेना प्रमुख न बनाएं। लेकिन, उन्होंने भारत की बात को अनसुना कर दिया। दरअसल, जनरल वकर उज़ ज़मान पीएम शेख हसीना के दूर रिश्ते में बहनोई लगता है। उसने ‍हिंसा और प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण के बजाय हसीना को देश छोड़ने की चेतावनी दी थी। इतना ही नहीं हसीना को देश छोड़ने के लिए सिर्फ 45 मिनट का वक्त दिया था। इस बीच, हसीना की धुर विरोधी खालिदा जिया को भी जेल से रिहा कर दिया गया। बांग्लादेश से जिस तरह के दृश्य सामने आ रहे हैं, उससे बांग्लादेश के भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।

भारत से कहां जाएगी हसीना : शेख हसीना दुनिया में किसी भी देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महिला हैं। मुश्किल हालातों में बांग्लादेश छोड़ने के बाद वह लंदन जा सकती हैं। उनके रिश्तेदार लंदन, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों में रहते हैं। शेख हसीना को जब तक अन्य देश में शरण नहीं मिलती, वह तब तक भारत में ही रह सकती हैं। सबसे ज्‍यादा अटकलें लंदन जाने की लगाई जा रही हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि लंदन से अब तक उन्‍हें हरी झंडी नहीं मिली है।

(बांग्‍लादेश में 1972 में लागू हुई थी आरक्षण प्रणाली, 2018 में किया खत्म।)
क्‍या आरक्षण ने बिगाडा हसीना का खेल: बांग्लादेश साल 1971 को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर उभरा। साल 1972 में इसे बतौर देश मान्यता मिली थी। 1972 में तत्कालीन सरकार ने मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और उनके वंशजों को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था। हालांकि साल 2018 में सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया। इस साल जून में हाईकोर्ट के फैसले ने इस आरक्षण प्रणाली को खत्म करने के फैसले को गैर कानूनी बताते हुए इसे दोबारा लागू कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा था फैसला : उच्च न्यायालय के फैसले के बाद बांग्लादेश में व्यापक पैमाने में विरोध प्रदर्श शुरू हो गए। शेख हसीना सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसने हाईकोर्ट के आदेश को निलंबित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल पांच फीसदी नौकरियां स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए आरक्षित होगी। दो फीसदी नौकरियां अल्पसंख्यकों और दिव्यांगों के लिए आरक्षित होगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 अगस्त को होनी थी लेकिन, इससे पहले विरोध प्रदर्शन भड़क उठे और हसीना की सत्‍ता का तख्‍ता पलट हो गया।

आईएसआई ने लिखी स्‍क्रिप्‍ट : बांग्लादेश में जानलेवा हिंसा को भड़काने के पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में ‘छात्र शिविर’ नाम के छात्र संगठन ने इस हिंसा को हवा देने का काम किया है। यह छात्र संगठन बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी की शाखा है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन प्राप्त है।

बांग्लादेश में अब तक क्या-क्या हुआ?

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