सिंह पोलियो के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हैं और इसलिए वह व्हीलचेयर के सहारे हैं, लेकिन उनकी यह शारीरिक अशक्तता इस आंदोलन में शामिल होने से उन्हें नहीं रोक सका और अपनी बीमार मां को गांव में छोड़कर प्रदर्शन में शामिल हो गए। वह एक महीने से अधिक समय से इस प्रदर्शन स्थल पर डेरा डाले हुए हैं।
उन्होंने कहा, मैं पोलियो से उबरने की सारी उम्मीदें छोड़ सकता हूं, लेकिन मैंने इस आंदोलन के सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद नहीं छोड़ी है।यह पूछे जाने पर कि किस चीज ने उन्हें इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, सिंह ने कहा, मैं एक किसान हूं और इसलिए यहां मौजूद होना मेरी जिम्मेदारी है।
सिंह ने कहा, बाद में मैं अपनी मां से मिलने गांव गया था। तब उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं अपनी लड़ाई जारी रखूं। सिंह के साथ यहां मौजूद उनके भतीजे सुखविंदर ने कहा, जब सिंह की मां को चोट लगी थी तब उन्होंने हमें इस बारे में सूचना नहीं दी और कहा कि वह ठीक हैं तथा हमें फौरन घर लौटने की जरूरत नहीं है।