Kisaan Andolan : सरकार ने किसानों से की प्रस्ताव मानने की अपील, कृषि मंत्री बोले- खुले दिमाग से चर्चा के लिए तैयार

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020 (20:51 IST)
नई दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं से गुरुवार को इस मामले में सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्तावों पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार उनके साथ किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार है।
 
तोमर ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे किसानों की मांगों का बातचीत से समधान निकलने को लेकर आशान्वित हैं। संवाददाता सम्मेलन में वाणिज्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल भी तोमर के साथ थे।
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कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों से आगे और वार्ता करने को इच्छुक और तैयार है। इससे एक दिन पूर्व किसान संगठनों न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जारी रखने और सितंबर में लागू किए गए नए कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने के सरकार के लिखित आश्वासन को खारिज कर दिया था।
 
किसान यूनियनों ने बुधवार को यह भी कहा कि वे आंदोलन तेज करेंगे तथा राष्ट्रीय राजधानी को जोड़ने वाले सभी राजमार्गों को अवरुद्ध करेंगे। नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ लगभग दो सप्ताह से हजारों किसान राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन किसानों का दावा है कि ये कानून मंडी व्यवस्था और कृषि उपज की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को ध्वस्त करके बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया गया है।
 
तोमर ने कहा कि किसानों से बातचीत जब जारी थी तो उस समय आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना उचित नहीं था। उन्होंने कृषक संगठनों से वार्ता पर लौटने का आग्रह किया।
 
उन्होंने कहा कि हमने किसानों से मिलने के बाद कुछ प्रस्ताव दिए और हम उनसे उन पर विचार करने का आग्रह करते हैं। यदि वे उन प्रस्तावों पर भी चर्चा करना चाहते हैं, तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। 
 
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एमएसपी प्रणाली पर नया विधेयक लाने पर विचार करेगी, मंत्री ने कहा कि नए कानून एमएसपी प्रणाली को प्रभावित नहीं करते हैं और यह प्रणाली जारी रहेगी।
 
गोयल ने कहा कि हम अपने किसान भाइयों और बहनों और यूनियन नेताओं से अपील करते हैं कि वे अपना विरोध खत्म करें और सरकार से बातचीत कर अपने मुद्दों को हल करें। 
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उन्होंने कहा कि भारत के किसानों के लाभ के लिए एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के प्रति सरकार का रवैया खुला और लचीला है।
 
तोमर ने कहा कि सरकार नए कानूनों में किसी भी प्रावधान पर विचार करने के लिए तैयार है जहां कहीं भी किसानों की कोई समस्या हो और हम उनकी सभी आशंकाओं को साफ करना चाहते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि हम किसानों के नेताओं से उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए सुझाव का इंतजार करते रहे, लेकिन वे कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। 
 
उन्होंने वस्तुतः विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों की प्रमुख मांग से सहमत होने की संभावना से इंकार किया जिस मांग को लेकर हजारों किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए हमेशा तैयार रही है।
 
मंत्री ने कहा कि हम ठंड के मौसम और मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौरान विरोध कर रहे किसानों के बारे में चिंतित हैं। किसान यूनियनों को सरकार के प्रस्ताव पर जल्द से जल्द विचार करना चाहिए और फिर जरूरत पड़ने पर हम अगली बैठक में इस पर फैसला कर सकते हैं। सरकार ने बुधवार को 'लिखित आश्वासन' देने का प्रस्ताव रखा कि खरीद के लिए मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था जारी रहेगी।
 
हालांकि, किसानों की यूनियनों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि वे तब तक अपने आंदोलन को और तेज करेंगे जब तक सरकार तीनों कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की उनकी मांग नहीं मान लेती।
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सरकार ने कम से कम सात मुद्दों पर आवश्यक संशोधन करने का भी प्रस्ताव किया है, जिसमें से एक, मंडी प्रणाली के कमजोर होने को लेकर आशंका से जुड़ा है। 
 
तोमर ने कैबिनेट पीयूष गोयल के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बुधवार रात मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि सरकार सितंबर में बनाए गए नए कृषि कानूनों के बारे में सभी आवश्यक स्पष्टीकरण करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ये कानून संसद में विस्तृत चर्चा के बाद पारित किये गए हैं।
 
गोयल, जो मीडिया ब्रीफिंग में भी मौजूद थे, ने कहा कि नए कानून एपीएमसी को प्रभावित नहीं करते हैं और यह संरक्षित रहेगा। किसानों को केवल निजी मंडियों में भी अपनी उपज बेच सकने का एक अतिरिक्त विकल्प दिया जा रहा है। किसान नेताओं ने बुधवार को कहा था कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ नया नहीं है और वे अपना विरोध जारी रखेंगे।
 
शाह ने मंगलवार रात 13 किसान यूनियन के नेताओं के साथ बैठक में कहा था कि सरकार तीन कृषि कानूनों के संबंध में किसानों द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों पर एक मसौदा प्रस्ताव भेजेगी। पर गतिरोध दूर नहीं हुआ क्यों कि किसान संगठनों के नेता इन कानूनों को रद्द करने की मांग पर जोर दे रहे हैं।
 
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में, सरकार ने कहा था कि नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों की आपत्तियों पर वह खुले दिल से विचार करने के लिए तैयार है।
 
इसमें कहा गया है कि सरकार ने किसानों की चिंताओं को खुले दिल से और देश के किसान समुदाय के प्रति सम्मान के साथ संबोधित करने का प्रयास किया है। सरकार किसान संगठनों से अपील करती है कि वे अपना आंदोलन समाप्त करें। 
 
नए कानूनों से मंडियां कमजोर होने की आशंका के बारे में सरकार ने कहा कि एक संशोधन किया जा सकता है जिसमें राज्य सरकारें मंडियों के बाहर काम करने वाले व्यापारियों को पंजीकृत कर सकती हैं। राज्य कर और उपकर भी लगा सकते हैं जैसा कि वे उन पर एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडियों में लगाते थे।
 
ऐसी चिंताओं पर कि केवल पैन कार्ड के आधार पर एपीएमसी मंडियों के बाहर व्यापार करने की अनुमति है और इससे किसानों के साथ धोखा किया जा सकता है, सरकार ने कहा है कि इस तरह की आशंकाओं को दूर करने के लिए, राज्य सरकारों को ऐसे व्यापारियों को पंजीकृत करने और किसानों की स्थानीय स्थिति को ध्यान में रखकर नियमों को बनाने की शक्ति दी जा सकती है।
 
विवाद के समाधान के लिए किसानों को दीवानी अदालतों में अपील करने का अधिकार नहीं मिलने के मुद्दे पर, सरकार ने कहा कि वह सिविल अदालतों में अपील करने के लिए संशोधन करने के पर विचार को तैयार है। वर्तमान में, विवाद समाधान एसडीएम स्तर पर होना है।
 
इस आशंका पर कि बड़े कॉरपोरेट खेत पर कब्जा कर लेंगे, सरकार ने कहा कि यह पहले ही कानूनों में स्पष्ट कर दिया गया है, लेकिन फिर भी, स्पष्टता के लिए, यह लिखा जा सकता है कि कोई भी खरीदार खेत के एवज में ऋण नहीं ले सकता है और न ही ऐसी कोई शर्त किसानों पर लगाई जाएगी।
 
ठेका खेती के तहत ऋण के लिए खेत को गिरवी रखने के संदर्भ में सरकार ने कहा कि मौजूदा प्रावधान स्पष्ट है लेकिन फिर भी आवश्यकता पड़ने पर इसे और स्पष्ट किया जा सकता है।
 
एमएसपी व्यवस्था को खत्म करने और व्यापार को निजी क्षेत्र के हवाले करने के बारे में आशंका के बारे में, सरकार ने कहा कि वह लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है कि मौजूदा एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी। प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने की मांग पर, सरकार ने कहा कि किसानों के लिए बिजली बिल भुगतान की मौजूदा प्रणाली में कोई बदलाव नहीं होगा।
 
एनसीआर अध्यादेश 2020 के वायु गुणवत्ता प्रबंधन को रद्द करने की किसानों की मांग पर, जिसके तहत फसल अवशेषों को जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है, सरकार ने कहा कि यह एक उचित समाधान खोजने के लिए तैयार है।
 
किसानों को खेती के ठेके का पंजीकरण प्रदान करने की मांग पर, सरकार ने कहा कि जब तक राज्य सरकारें पंजीकरण की व्यवस्था नहीं करती हैं, तब तक एसडीएम कार्यालय में एक उचित सुविधा प्रदान की जाएगी, जिसमें अनुबंध की एक प्रति हस्ताक्षरित होने के 30 दिन बाद जमा कराई जा सकती है।
 
कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता पर, मंत्रियों ने कहा कि ठेका खेती और अंतर-राज्य व्यापार पर कानूनों को पारित करने के लिए समवर्ती सूची की प्रविष्टि 33 के तहत सरकार के पास यह शक्ति है, और राज्यों को एपीएमसी क्षेत्रों के बाहर शुल्क / उपकर लगाने से रोकने का अधिकार है। (भाषा)

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