नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर के सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। मंगलवार को किसान संगठनों के भारत बंद के बाद खुद गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को मनाने की कमान अपने हाथ में ली और 13 किसान संगठनों के साथ गृह मंत्री अमित शाह की देर रात तक बैठक चलती रही लेकिन करीब पौने दो घंटे चली बैठक भी कोई अंतिम हल नहीं निकल पाया और सरकार और किसान संगठनों के बीच छठें दौर की होने वाली बातचीत स्थगित कर दी गई।
कक्काजी की जुबानी बैठक की पूरी कहानी-गृहमंत्री अमित शाह जी के साथ बैठक में किसान संगठनों के 13 मुखिया थे। गृहमंत्री अमित शाह जी के साथ बैठक में अब तक सरकार के साथ पांच राउंड की जो चर्चा हुई थी,उसी चर्चा का रिपीटेशन ही हुआ। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आप जो भी संशोधन करवाना चाहते हैं वह करवा लीजिए हम अनेक प्रकार के संशोधन करने को तैयार हैं। इस पर हमने कहा कि संशोधन नहीं कानून वापसी हो, इस पर सरकार कह रही है जब उसमें कुछ रहेगा ही नहीं तो उस कानून को क्यों आप वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
असल में जो 5 दिन से बातचीत हो रही थी वही अमित शाह जी के साथ बैठक में भी हुई सरकार ने अपना स्टैंड रखा कि संशोधन करा लीजिए। इस पर किसानों ने कहा कि अध्यादेश लाने से पहले आपको किसानों से बातचीत की होती तो यह नौबत ही ना थी। इस पर सरकार ने अपनी गलती मानी और कहा कि आगे हम ठीक कर लेंगे। मैंने यह भी कहा कि अध्यादेश बहुत इमरजेंसी में लाते हैं और इस कृषि से जुड़े विषयों पर अध्यादेश लाना संविधान की मर्यादा का उल्लंघन है।
बैठक के आखिरी में गृहमंत्री अमित शाह जी ने कहा कि चलिए एक काम करते हैं कि हम अपनी ओर से एक प्रपोजल बनाकर भेजते हैं कि सरकार अपनी तरफ से कौन से पांच संशोधन कर रही है और कैसे कर रही हैं। इस पर हमने कहा कि अगर आप जबरदस्ती भेजना ही चाहते हैं तो भेज दें मगर हमारा स्टैंड क्लियर है हम कानूनों को निरस्त चाहते हैं और एमएसपी पर गारंटी चाहते हैं और बैठक समाप्त हो गई।
बैठक में हमने साफ कहा कि किसानों की केवल दो मांग है कि सरकार अध्यादेश निरस्त करे और एमएसपी पर फसल को क्रय करने का गारंटी का कानून बनाए, सरकार ने अनुरोध किया कि एक बार हमारी बात मान जाइए हम लोग ने साफ मना किया इसी मान मनौव्वल में पौने दो घंटे लग गए।