उन्होंने कहा कि हर किसी को प्रदर्शन करने का अधिकार है। उनके पास भी है, इसलिए हम ऐसा करेंगे। हम तीनों कानूनों के समर्थन में हैं लेकिन इस प्रदर्शन का नेतृत्व वामपंथी और हिंसक लोग कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि किसानों का जारी आंदोलन अब किसान आंदोलन नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि इसने राजनीतिक रंग धारण कर लिया है। किसानों को इन तीनों कानूनों के जरिए असली आजादी मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा से किसानों का यह दूसरा समूह है जिसने तोमर से मुलाकात की और कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन प्रकट किया। पहला समूह मंत्री से सात दिसंबर को मिला था। प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्र के बीच हुई 6 दौर की वार्ता के दौरान गतिरोध को दूर करने के लिए अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।
दरअसल प्रदर्शनकारी किसान नए कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि सरकार ने कानूनों में संशोधन करने का एक मसौदा प्रस्ताव उन्हें भेजा था। प्रदर्शनकारी किसानों को आशंका है कि नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे और मंडियो को खत्म कर उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया का मोहताज बना देंगे। हालांकि, केंद्र का कहना है कि एमएसपी और मंडी प्रणाली जारी रहेगी तथा यह कहीं और बेहतर तथा और मजबूत बनेगी। (भाषा)