नए कृषि कानून के विरोध में आज किसानों के आंदोलन का 29 वां दिन है। किसान संगठन और सरकार दोनों ही अपने पुराने स्टैंड से पीछे हटने को किसी भी सूरत में तैयार नहीं दिख रहे है। ऐसे में अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर मोदी सरकार किसानों के खातों में सीधे पैसा डालकर उनको साधने की कोशिश कर ही है तो दूसरी ओर भाजपा शासित राज्य सरकारें भी किसानों तक सरकार की योजनाए पहुंचाकर आंदोलन की धार को कुंद करने की कोशिश कर रही है।
सरकार के अक्रामक रूख के बाद अब किसान संगठन भी आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए है और उन्होंने सरकार के पुराने सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया है। किसान आंदोलन की समन्वय समिति ने गुजरात में 25 दिसम्बर को कुशासन दिवस के रूप में मनाने का एलान किया है।
एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने कहना है गुजरात में बड़ी संख्या में किसानों ने 25 दिसम्बर को केंद्र की मोदी व रूपाणी सरकार के कुशासन के खिलाफ विरोध सभाएं करने का निर्णय लिया है। संगठन का आरोप है कि राज्य में किसानों की बड़ी संख्या में आत्महत्याएं जारी हैं क्योंकि कर्जे बढ़ रहे हैं,जमीनें छिन रही हैं।
संगठन का दावा है कि एनएसएसओ के 2011 के आंकड़े बताते हैं कि 10 सालों में गुजरात के 3.55 लाख किसान गायब हो गये,जबकि 17 लाख कृषि मजदूरों की संख्या बढ़ गयी। यह मुख्य रूप से मोदी सरकार के निर्यात आधारित ठेका खेती की वजह से हुआ। भाजपा शासन के दौरान नर्मदा बांध का पानी भी खेती से हटाकर उद्योगों व साबरमती रीवर वाटर फ्रंट को दिया गया, जिसके कारण हर साल किसान पानी के लिए त्रस्त रहते हैं।
कृषि मंत्री का दावा झूठा- एआईकेएससीसी ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के इस दावे को भी गलत और झूठा बताया है कि ठेका खेती में किसानों की जमीनें नहीं छिनेंगी। नये ठेका खेती कानून की धारा 9 के अनुसार किसान अपने खर्च वित्तीय संस्थाओं से अलग अनुबंध करके प्राप्त कर सकते हैं जिसका अर्थ है कि उनकी जमीन व सम्पत्ति गिरवी रखी जाएगी। धारा 14(2) कहती है कि कम्पनी कि किसान को दिया गया उधार धारा 14(7) के अन्तर्गत भू-राजस्व का बकाया के रूप में वसूला जाएगा।
वहीं एआईकेएससीसी से पुलिस ने भोपाल में किसानों के धरने व इसमें भाग लेने के लिए आ रहे लोगों की गिरफ्तारी की निंदा की है। एआईकेएससीसी ने चेतावनी दी है कि अगर भाजपा सरकारों ने अपने राज्यों में इस तरह के दमन को नहीं रोका तो पूरे देश में संघर्ष बढ़ेगा।