farmer protests 2024 : किसानों के 'दिल्ली मार्च' को देखते हुए दिल्ली के सिंघू और टीकरी बॉर्डर को पुलिस ने सील कर दिया था। दोनों ही बॉर्डर पर आवाजाही बंद कर दी गई थी. दिल्ली पुलिस शनिवार को दोनों बॉर्डर खोल दिए। पुलिस ने दोनों बॉर्डर पर आवाजाही के लिए एक हिस्सा खोला है।
किसानों के दिल्ली चलो मार्च के मद्देनजर दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघू और टीकरी सीमा मार्गों को करीब दो सप्ताह तक बंद रखने के बाद प्रशासन ने शनिवार को उन्हें आंशिक रूप से खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सिंघू सीमा मार्ग की सर्विस लेन और टीकरी सीमा मार्ग की एक लेन को खोला जा रहा है ताकि वाहनों की आवाजाही हो सके।
13 फरवरी को किया गया था सील : सिंघू और टीकरी सीमा मार्गों के खुलने से दिल्ली से हरियाणा जाने वाले वालों को बहुत राहत मिलेगी। इन दोनों सीमा मार्गों को 13 फरवरी को सील कर दिया गया था क्योंकि पंजाब से प्रदर्शनकारी किसानों ने फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी तथा कृषि ऋण माफी समेत अपनी मांगों पर दबाव डालने के लिए अपना दिल्ली चलो मार्च शुरू किया था।
हजारों किसान दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर अंबाला के समीप पंजाब-हरियाणा सीमा पर डेरा डाले हुए हैं क्योंकि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया।
पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा इस महीने के अंत तक मार्च रोकने की घोषणा के बाद यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि स्थिति पर नजर रहेगी और जरूरत पड़ने पर सीमाएं फिर से बंद की जा सकती हैं।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) सीमा पर स्थिति वैसी ही रहेगी क्योंकि फ्लाईओवर के नीचे का मार्ग बंद रहेगा।
इस बीच, सोनीपत से प्राप्त समाचार के अनुसार कुंडली सीमा मार्ग पर सर्विस लेन को खोल दिया गया है। बॉर्डर बंद करने के 11वें दिन दोपहिया वाहनों के लिए सर्विस लेन को खोल दिया गया है। फलस्वरूप दिल्ली जाने वाले यात्रियों और औद्योगिक क्षेत्र के वाहनों को राहत मिली है।
हरियाणा में इंटरनेट पाबंदी जारी: हरियाणा सरकार ने किसानों के दिल्ली चलो' आंदोलन के मद्देनजर 7 जिलों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई एसएमएस (संदेश) भेजने पर लगी रोक शनिवार रात 11 बजकर 59 मिनट तक के लिए बढ़ा दी है। अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में 11 फरवरी को मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई एसएमएस भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद 13, 15, 17, 19, 20 और 21 फरवरी को पाबंदी बढ़ा दी गई थी।
नहीं खत्म होगा आंदोलन : किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शनिवार को कहा कि दिल्ली चलो मार्च में भाग ले रहे किसान अपनी मांगें पूरी होने तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।
उन्होंने यह संकेत भी दिया कि लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
हजारों किसान हरियाणा से लगी पंजाब की खनौरी और शंभू सीमाओं पर अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों के साथ डेरा डाले हुए हैं।
इससे पहले, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते उनके दिल्ली मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिया गया था।
बीते बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में दिल्ली चलो मार्च को खनौरी में हुई झड़प में एक प्रदर्शनकारी किसान की मौत हो जाने और लगभग 12 पुलिस कर्मियों के घायल होने के बाद किसान नेताओं ने दो दिनों के लिए रोक दिया था।
यह घटना उस वक्त हुई, जब कुछ प्रदर्शनकारी अवरोधकों की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे।
शंभू सीमा पर पत्रकारों से बात करते हुए केएमएम नेता पंधेर ने कहा कि वह 29 फरवरी को अपने अगले कदम की घोषणा करेंगे।
उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक (हमारी) मांगें पूरी नहीं हो जाती। अगर वे (केंद्र) कल हमारी मांगें मान लेते हैं, तो हम आंदोलन पर कोई निर्णय लेंगे।
निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने पर आदर्श आचार संहिता लागू होने के बारे में पंधेर ने कहा कि हमें सांसदों को टिकट नहीं बांटना है। इसलिए, हमें आदर्श आचार संहिता के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम मतदान केंद्रों पर प्रचार नहीं करने जा रहे हैं।
केएमएम नेता ने कहा कि हम (आचार संहिता को लेकर) चिंतित नहीं हैं। हमें लगता है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने पर भी आंदोलन जारी रह सकता है।
बातचीत में नहीं बनी बात : किसान नेताओं के अनुसार, प्रदर्शनकारी 29 फरवरी तक दोनों प्रदर्शन स्थलों पर डेरा डाले रहेंगे, जब आगे की रणनीति तय की जाएगी। गतिरोध खत्म करने के लिए किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चार दौर की बातचीत बेनतीजा रही है।
ये हैं मांगें : पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं। इनपुट भाषा Edited By : Sudhir Sharma