एसकेएम ने एक बयान में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा इस फैसले का स्वागत करता है। हम संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से इस घोषणा के क्रियान्वयन की प्रतीक्षा करेंगे। किसान संगठन ने कहा कि यदि कृषि कानूनों को औपचारिक तौर पर निरस्त किया जाता है तो यह भारत में किसानों के 1 साल लंबे संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी। उसने जोर देकर कहा कि किसानों का आंदोलन सिर्फ इन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए नहीं है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी देने के लिए भी है। किसानों की यह महत्वपूर्ण मांग अब भी लंबित है।
एसकेएम ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग अब भी लंबित है। उसने कहा कि इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हो गए। उसने कहा कि केंद्र सरकार की हठ लखीमपुर खीरी में हत्याओं समेत उन सभी मौतों के लिए जिम्मेदार है जिनसे बचा जा सकता था। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले करीब 1 वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे।