किसान संगठनों के भारत बंद के बाद अब सरकार बैकफुट पर दिखाई दे रही है। गृहमंत्री अमित शाह के साथ 13 किसान संगठनों के नेताओं के बीच हुई बैठक में सरकार की ओर कृषि कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव को भेजने की बात कही थी। बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कानून में सभी प्रकार के संशोधन करने को तैयार हैं। वहीं बैठक के दौरान गृहमंत्री ने MSP की गारंटी पर कानून बनाने की बात भी कही है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने किसान संगठनों को जो पांच बिंदुओं का जो संशोधन प्रस्ताव भेजा है
सरकार की ओर से भेज गए प्रस्ताव के बिंदु ! 1-MSP पर किसान संगठनों की शंकाओं को दूर करते हुए इसके जारी रहने की बात सरकार ने प्रस्ताव में दोहराई है।
2-सरकार ने किसानों की आपत्ति के बाद मंडी व्यवस्था में संशोधन के साथ सुधार की बात प्रमुखता से प्रस्ताव में कही है।
3-इसके साथ प्राइवेट मंडियों को भी लाइसेंस लेना अनिवार्य होने की बात प्रस्ताव में कही गई है जबकि नए कानून में निजी कंपनियों को इससे छूट दी गई थी।
4- नए कानून में कांट्रेक्ट फॉर्मिंग में किसानों को अपनी जमीन खोने के डर को खत्म करने के लिए सुरक्षा का लिखित आश्वासन दिया गया है। किसानों को अब कोर्ट जाने का अधिकार देने की बात कही गई है।
5-इसके साथ निजी कंपनियों पर अपना माल गोडाउन में रखने की लिमिट तय करने की बात कही गई है। जबकि नए कानून में कंपनियों पर ऐसी कोई लिमिट नहीं थी जबकि किसानों पर बंदिशें रखी गई थी। इस नए कानून से निजी कंपनियों को सीधा फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी।
सरकार के इस प्रस्ताव के बाद अब आज किसान संगठन अपनी बैठक कर आगे की रणनीति तय कर रहे है। वहीं दूसरी ओर किसान नेताओं ने साफ कहा हैं कि जब तक नए कृषि कानून सरकार वापस नहीं ले लेती तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा। किसान नेता शिवकुमार कक्का जी कहते हैं कि अब बीच के सभी रास्ते बंद है। सरकार ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है अब उसका भुगतान सरकार को करना पड़ेगा और तीनों अध्यादेश को वापस लेने से कम मांग पर समझौता नहीं होगा।