नई दिल्ली। जब हम अपना खाना साथ लाए हैं तो फिर सरकारी खाना क्यों खाएं... राजधानी के विज्ञान भवन में उस समय अलग ही दृश्य था जब किसान नेताओं ने सरकारी भोजन की पेशकश ठुकराकर अपने साथ लाया हुआ खाना शुरू कर दिया।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है, इससे पूर्व भी बातचीत के दौरान जब किसानों को चाय की पेशकश की गई थी, तब उन्होंने यह कहते हुए सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया था कि सिंघु बॉर्डर पर आइए हम आपको जलेबियां खिलाएंगे।
गुरुवार को भी किसान लंच ब्रेक के दौरान सरकार द्वारा किए गए खाने के प्रबंध की जगह किसानों ने अपने लाए हुए खाने को बांटकर खाया।
करीब 12 बजे से चल रही इस बैठक के दौरान जब भोजन का वक्त हुआ तो किसानों ने गुरुद्वारा से लंगर मंगाया और जमीन पर बैठकर भोजन किया।
सोशल मीडिया पर इस मामले में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। प्रिया नामक ट्विटर हैंडल से लिखा गया- सरकार का खाना स्वीकार नहीं करोगे, लेकिन एमएसपी की भीख मांगोगे। वाह क्या हिप्पोक्रेसी है? जवाब में डॉ. नीतेश ने लिखा- भीख नहीं मांग रहे, अपना हक मांग रहे हैं।
हरविन्दरसिंह ने लिखा- हां, किसान टैक्स चुकाने के लिए तैयार हैं, लेकिन अप्रत्याशित बाढ़, लॉकडाउन, नोटबंदी के बारे में क्या कहेंगे? वहीं, सुधीर नामक ट्विटर हैंडल से लिखा गया- हा..हा..हा..न्यूनतम समर्थन मूल्य, लोन माफी, सब्सिडी, सरकारी योजनाएं जरूर स्वीकार करेंगे।
बैठक में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश हिस्सा ले रहे हैं। किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत हो रही है। (Photo courtesy: ANI)