पालघर। महाराष्ट्र के पालघर जिले की 26 वर्षीय एक गर्भवती महिला की उस एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई जिसमें ऑक्सीजन और अन्य आवश्यक सुविधाएं नहीं थीं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। पालघर के सिविल सर्जन डॉ. रामदास मराड ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्र में विशेष एम्बुलेंस की कमी के बारे में अधिकारियों के समक्ष बार-बार चिंता जताई है।
प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को मंगलवार शाम गंभीर हालत में यहां एक ग्रामीण अस्पताल लाया गया था। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि अगर वह पहले आती तो हम उसे बचा सकते थे। पालघर से लोकसभा सदस्य डॉ. हेमंत सवारा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को मामले में आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए और एम्बुलेंस में पर्याप्त सुविधाएं होनी चाहिए।
ग्राम सारनी निवासी पिंकी डोंगरकर को मंगलवार की शाम प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी। उसका परिवार तुरंत उसे कासा ग्रामीण अस्पताल ले गया, लेकिन उसकी हालत की गंभीरता को देखते हुए वहां के कर्मचारियों ने उसे पड़ोसी सिलवासा शहर (केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में) रेफर कर दिया।
अस्पताल पहुंचने पर महिला अर्द्धचेतन थी और उसमें गंभीर संक्रमण के लक्षण दिखे। निजी तौर पर संचालित 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवाओं के मुद्दों पर, डॉ मराड ने कहा कि एम्बुलेंस शायद ज्यादा मांग के कारण उपलब्ध नहीं हो सकी।
पालघर के दहानू से नवनिर्वाचित विधानसभा सदस्य और माकपा नेता विनोद निकोले ने कहा कि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान सदन में यह मुद्दा उठाया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के प्रति 'उदासीनता' को लेकर सरकार की आलोचना की और राज्य पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल की तत्काल जरूरतों के बजाय लाडकी बहिन योजना जैसे अन्य कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया।(भाषा)