विश्व का एकमात्र फुटबॉल म्यूजियम उन्हीं की देन है। इस म्यूजियम में उन्नीसवीं शताब्दी में उपयोग में लाई गई शीपस्किन फुटबॉल से लेकर मॉडर्न डे में खेली जाने वाली फुटबॉल रखी हुई हैं। सिर्फ फीफा विश्वकप ही नहीं, चैंपियंस लीग के फाइनल में खेली गई फुटबॉल इस म्यूजियम में रखी हुई है।
पिछले 30 सालों से मिखेल फुटबॉल इक्ट्ठा कर रहे हैं और अभी तक म्यूजियम में कुल 800 फुटबॉल रखी हैं जिसे दर्शक देख सकते हैं। मिखेल का मानना है कि फुटबॉल ही खेल की आत्मा है , वह नहीं तो खेल नहीं और खेल नहीं तो न पेले, न रोनाल्डो न मेस्सी।