Flashback 2019: साल 2019 के 7 कवि जो अपनी कविता से रहे चर्चा में

नवीन रांगियाल
शनिवार, 14 दिसंबर 2019 (13:47 IST)
अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि नए कवि पुराने कवियों की नकल भर रह गए हैं, लेकिन साल 2019 में युवा कवियों ने इस धारणा को खत्‍म करने का काम किया है। इस साल युवा कवि और लेखकों की न सिर्फ बहार रही है, बल्‍कि एक नए ढंग के लेखन से उन्‍होंने साहित्‍य की मुख्‍य धारा में अपनी जगह भी आरक्षित की है। कवि गीत चतुर्वेदी ने जहां अपनी ‘सिग्‍नेचर’ शैली को बनाए रखा है तो वहीं अंबर पांडे और अदनान कफील दरवेश ने कविता में अपनी जगह बनाई है। इसी कतार में उत्‍तरप्रदेश और झारखंड के नगरों से आने वाले कई कवियों ने अपनी कविता से साहित्‍य जगत का ध्यान खींचा है। आइए जानते हैं इस साल अपने लेखन और उपलब्‍धि से चर्चा में रहने वाले 7 कवियों के बारे में।
 


गीत चतुर्वेदी
पिछले कुछ सालों में गीत चतुर्वेदी बहुत धीमे-धीमे लेकिन गंभीर तरीके से साहित्‍य में उभरकर आए हैं। विश्‍व साहित्‍य और संगीत की उनकी जानकारी उनके लेखन में भी झलकती है। वे कविता, कहानी और उपन्‍यास विधा में लिखते हैं। विश्‍व साहित्‍य में उनकी गहरी रुचि है। सावंत आंटी की लड़कियां और पिंक स्‍लिप डैडी उनकी चर्चित किताबें हैं, हाल ही में प्रकाशित गीत का कविता संग्रह खुशियों के गुप्‍तचर की काफी चर्चा हो रही है।
 

आशुतोष दुबे
युवाओं से थोड़ा सा आगे निकल चुके लेखक आशुतोष दुबे लेखन में काफी सक्रिय और चर्चित हैं। इंदौर के रहने वाले आशुतोष की कई राष्‍ट्रीय मंचों पर भागीदारी रही है। उनकी चार प्रमुख कृतियां हैं चोर दरवाज़े से’, ‘असम्भव सारांश औरयक़ीन की आयतें। पिछले साल आई उनकी किताब विदा लेना बाकी रहे की खूब चर्चा रही। वे अपनी कविताओं और आलेख के माध्‍यम से देश के कई बड़े मंचों पर सक्रिय हैं।  

 

अंबर पांडे
युवा कवि और लेखक अंबर पांडे हर बार चौंका देते हैं। वे फेसबुक से चर्चा में आए थे। फेसबुक पर छद्म नाम से लिखीं उनकी कविताएं भी बेहद चर्चित रहींं। तोता बाला नाम के फेसबुक एकांउट से उन्‍हें खासी लोकप्रियता मिली। अपने बारे में पैदा हुए रहस्‍य का उन्‍होंने बखूबी इस्‍तेमाल किया। उनकी कविताओं और गद्य को खूब पसंद किया गया। उनके प्रशंसकों की एक लंबी सूची है। इसी साल उनका कविता संकलन कोलाहल की कविताएं प्रकाशित हुई है। रजा फाउंडेशन दिल्‍ली और भारत भवन भोपाल समेत कई मंचों पर उनकी भागीदारी रही है। कविता और कहानी में अंबर पांडे उभरते हुए युवा कवि हैं और अपने लेखन की वजह से काफी चर्चा में रहते हैं। कविता और कहानी विधा में अंबर की भाषा काफी समृध्‍द है।    



अविनाश मिश्र
गाजियाबाद, उत्‍तरप्रदेश के अविनाश मिश्र दिल्‍ली में साहित्‍यिक पत्रिका सदानीरा का संपादन कर रहे हैं। वे युवा कवि और आलोचक हैं। वे फेसबुक पर अपनी आलोचनाओं से अक्‍सर चर्चा और कई बार विवादों से भी घिरे रहते हैं। आलोचना में खुलकर नाम लिखने की वजह से वे अक्‍सर गर्मागर्म बहस का हिस्‍सा होते हैं। अपनी कसी हुई भाषा और सटायर के लिए वे लोकप्रिय हैं। उनकी अब तक दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। नए शेखर की जीवनी और अज्ञातवास की कविताएं। अपने अगले कविता संग्रह और उपन्‍यास पर भी वे काम कर रहे हैं।
 

अदनान कफील दरवेश
उत्‍तरप्रदेश के बलिया के रहने वाले युवा कवि अदनान कफील दरवेश फिलहाल अपनी कविताओं के लिए काफी पसंद किए जा रहे हैं। उन्‍हें साल 2018 का भारत भूषण अग्रवाल सम्‍मान दिया गया है। यह पुरस्‍कार उन्‍हें उनकी कविता ‘किबला’ के लिए दिया गया है। काफी संवेदनशील कवि अदनान ने अपने आसपास की घटनाओं और दृश्‍यों को अपनी कविता का बिंब बनाया है। वे बेहद संवेदनशील लिखते हैं।
 

अनुज लगुन
झारखंड के युवा कवि अनुज लगुन को साल 2018 का युवा साहित्‍य अकादेमी का सम्‍मान मिल चुका है। उन्‍हें यह सम्‍मान उनकी लंबी कविता ‘बाघ और सुगना मुंडा की बेटी’ के लिए दिया गया है। दरअसल, वे आदिवासी समुदाय से आते हैं, लेकिन उनका मानना है कि उनकी इस कविता का रिश्‍ता सिर्फ आदिवासी से नहीं बल्‍कि पूरी मनुष्‍यता से है। उन्हें भारत भूषण अग्रवाल कविता सम्मान भी मिला है।
 

विहाग वैभव
युवा कवि विहाग वैभव को भी 2018 के लिए भारत भूषण पुरस्कार दिया गया है। वाराणसी के रहने वाले विहाग को यह पुरस्‍कार उनकी 'तद्भव' पत्रिका में प्रकाशित उनकी कविता 'चाय पर शत्रु-सैनिक' के लिए दिया गया है। उत्तरप्रदेश’ के जौनपुर जिले के सिकरौर गांव में किसान-मजदूर परिवार में विहाग का जन्‍म हुआ है।

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