नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के लिए यह साल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ घटनापूर्ण रहा। पार्टी की यह लगातार तीसरी जीत थी जिससे लोग कहने लगे कि दिल्ली में आप को हराना मुश्किल है। वर्ष की शुरुआत ही पार्टी के लिए अच्छी रही और विधानसभा चुनाव में 70 में से 62 सीट जीतने के बाद यह फिर से दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई तथा फरवरी में अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत सिर्फ पार्टी की ही नहीं, बल्कि काम आधारित राजनीति की भी जीत है तथा अब उद्देश्य 2021 में अन्य राज्यों में जीत दर्ज करने तथा वहां दिल्ली मॉडल दोहराने का है। यह पूछे जाने पर कि पार्टी के लिए यह साल कैसा रहा, सिंह ने कहा कि दिल्ली के चुनाव परिणाम बहुत ही उत्साहजनक और प्रेरक रहे। जीत हमारे काम पर जनता की मुहर तथा राजनीति के वैकल्पिक ब्रांड की प्रतीक रही।
आप ने विधानसभा चुनाव में धुआंधार प्रचार किया और चुनावी रैलियों से इतर केजरीवाल ने टाउन हॉल बैठकें कीं। चुनाव प्रचार में डीटीसी बसों में महिलाओं के लिए नि:शुल्क यात्रा, मुफ्त बिजली-पानी और सीसीटीवी कैमरे लगाने जैसी चीजें पार्टी के प्रमुख मुद्दों में शामिल रहीं। केजरीवाल के इस साल तीसरी बार मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद ही दिल्ली में भी कोविड-19 महामारी ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया, जो न सिर्फ दिल्ली सरकार बल्कि पार्टी के लिए भी बड़ी चुनौती बन गई।
मुख्यमंत्री ने बीमारी की रोकथाम के लिए संबंधित विभागों को कई निर्देश दिए। इस बीच पार्टी ने अन्य राज्यों खासकर उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में भी पैर पसारने के प्रयास शुरू कर दिए, जहां इसने विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही है। सिंह ने 2021 के लिए पार्टी के विजन के बारे में कहा कि आप इन राज्यों में अपनी पहुंच बढ़ाने की दिशा में काम करेगी। 2021 में हमारा सपना इन राज्यों में दिल्ली मॉडल को दोहराने का है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सीसीटीवी, पानी, बिजली, महिला सुरक्षा और महिलाओं के लिए बसों में नि:शुल्क यात्रा, जो हमने दिल्ली में किया, वही हम अब इन राज्यों में करना चाहते हैं।
आप नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में भी उतर आई और केजरीवाल प्रदर्शनकारियों से मिलने सिंघू बॉर्डर पहुंच गए तथा स्वयं को 'सेवादार' करार दिया। पार्टी ने दिल्ली पुलिस पर केजरीवाल को नजरबंद करने का भी आरोप लगाया जिसे पुलिस ने खारिज किया। दिल्ली पुलिस के साथ पार्टी की लड़ाई सालभर चलती रही और वह आरोप लगाती रही कि पुलिस केंद्र के इशारे पर काम कर रही है। इस साल महामारी, संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ रोज-रोज होने वाले प्रदर्शनों तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा को छोड़कर दिल्ली में आप की बल्ले-बल्ले रही। (भाषा)