उत्तर : देखिए, सफेद रक्त कणों का काम हानिकारक बैक्टीरिया से लड़कर शरीर को संक्रमण से मुक्त रखना है। ऊपर वाले की माया बड़ी निराली है। उसने सफेद रक्त कणों का जीवनकाल मात्र 4 दिनों का बड़ी ही समझदारी से रखा है। अब जब सफेद रक्त कणों को ज्ञात है कि उनकी जिंदगी मात्र 4 दिनों की है तो वे बिना डरे बिना अपनी जान की परवाह किए दुश्मन बैक्टीरिया का काम तमाम करने के लिए 'मरो या मारो' की तर्ज पर टूट पड़ते हैं। उनकी यही निडरता उन्हें अक्सर युद्ध में दुश्मन पर विजय दिलाती है। फिर आरबीसी की तुलना में डब्ल्यूबीसी का निर्माण भी तेजी से होता है यानी एक मरता है तो तुरंत दूसरा पैदा हो जाता है।
इस वैज्ञानिक तथ्य से हमें भी सीख लेने की जरूरत है। सेना में भर्ती होने के समय ही सैनिक तथा सैनिक के परिवारजनों को यह समझ लेना चाहिए कि उसने जिंदगी की जो राह चुनी है, वह 4 दिनों की भी साबित हो सकती है इसलिए कुछ सैनिकों के शहीद हो जाने पर मीडिया, अखबार तथा सोशल मीडिया पर भावनात्मक आंदोलन छेड़कर पूरे देश को सिर पर उठा लेना तथा सेना व सरकार को क्या करना चाहिए, इसकी सलाह देना शायद गलत कदम है।