देश भर में विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की स्थापना एवं पूजा-अर्चना का पर्व धूमधाम से मनाया गया। दस दिनों के पश्चात इस महापर्व का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन से होगा। अनंत चतुर्दशी के दिन ही "अनंत व्रत" संपन्न किया जाता है। अनंत व्रत का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। इस वर्ष अनंत व्रत 9 सितंबर 2022 को होगा।
अनंत व्रत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में सूर्योदयव्यापिनी (उदयातिथि) ही ग्राह्य होती है। सर्वप्रथम व्रत करने वाले श्रद्धालु प्रात:काल स्नान आदि से शुद्ध होकर अनंत व्रत का संकल्प लें तत्पश्चात पूजाघर में चौकी पर मंडप बनाकर उस पर सात फ़णों वाली शेषरूप अनंत की प्रतिमा स्थापित करें।
उस मूर्ति के आगे 14 गांठ वाला रेशमी अनंत (धागा) रखकर उसकी पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन करें, फिर इस अनंत को अपने शरीर पर धारण करें। पूजन उपरांत "नमस्ते देव देवेश नमस्ते धरणीधर। नमस्ते सर्वनागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम॥ मंत्र बोलते हुए प्रणाम करें उसके बाद प्रसाद ग्रहण करें।
इस व्रत को करने वाले श्रद्धालुगण अनंत चतुर्दशी के दिन केवल फलाहार करें अथवा बिना नमक वाला भोजन करें। शास्त्रानुसार कथा है कि प्राचीनकाल में कौण्डिन्य नामक ब्राह्मण द्वारा अनंत का अनादर करने से उसकी समस्त सम्पत्ति नष्ट हो गई थी तब स्वयं अनंत ने एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में आकर कौण्डिन्य को अनंत व्रत करने का आदेश दिया था। इस व्रत को करने से सब मनोरथ सफल होते हैं। इस व्रत को श्रद्धालुगण को व्रत धारण करने के बाद 14 वर्ष तक करना अनिवार्य होता है, 14 वर्ष के पश्चात वे अपनी सामर्थ्य के अनुसार इस व्रत को जारी रख सकते हैं।
क्या होती है पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा-
पंचोपचार एवं षोडषोपचार पूजन निम्न प्रकार से की जाती हैं।