गणपतिजी को दूर्वा अधिक प्रिय है। अतः सफेद या हरी दूर्वा चढ़ाना चाहिए। दूर्वा की फुनगी में तीन या पांच पत्ती होनी चाहिए।
तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेशजी को प्रिय हैं। अतएव ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं करें।
पद्मपुराण, आचार रत्न में लिखा है कि 'न तुलस्या गणाधिपम्' अर्थात तुलसी से गणेशजी की पूजा कभी न की जाए। कार्तिक माहात्म्य में भी कहा गया है कि 'गणेश तुलसी पत्र दुर्गा नैव तु दूर्वाया' अर्थात गणेशजी की तुलसी पत्र और दुर्गाजी की दूब से पूजा न करें।
इसके अलावा गणेश पूजन में गणेशजी की एक ही परिक्रमा करने का विधान है। हालांकि कई विद्वान गणेशजी की तीन परिक्रमा को भी उचित ठहराते हैं।