गणेश विसर्जन 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा
भगवान गणेश की 10 दिवसीय स्थापना के बाद उनका विसर्जन किया जाता है। इस साल 2020 में कब है गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, गणेश विसर्जन का महत्व, गणेश विसर्जन की पूजा विधि और गणेश विसर्जन की कथा
1 सितंबर 2020 को अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का विसर्जन कर दिया जाएगा। इन 10 दिनों में भगवान गणेश की विधिवत पूजा करके उन्हें उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाया जाता है और पूरे विधि विधान से गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है....
गणेश विसर्जन 2020 तिथि : 1 सितंबर 2020
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 3 बजकर 32 मिनट से शाम 05 बजकर 07 मिनट तक (1 सितंबर 2020)
सायं मुहूर्त (लाभ) - 8 बजकर 07 मिनट से रात 09 बजकर 32 मिनट तक (1 सितंबर 2020)
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10 बजकर 56 मिनट से सुबह 3 बजकर 10 मिनट तक (2 सितंबर 2020)
चतुर्दशी तिथि आरंभ - सुबह 08 बजकर 48 मिनट से (31 अगस्त 2020)
चतुर्दशी तिथि समाप्त - सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक (1 सितंबर 2020)
गणेश विसर्जन का महत्व
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना को जितना महत्व दिया जाता है उतना ही महत्व भगवा्न गणेश के विसर्जन को दिया जाता है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान गणेश को भक्त अपने घर पांच, सात या ग्यारह दिनों तक विराजित करते हैं और उनकी पूरी विधिवत आराधना करते हैं।
इसके बाद भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि को कर दिया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह इसी तरह अगले साल भी आएं। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की स्थापना करके उनका विधिवत पूजन करके विसर्जन करने से मनुष्य के जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
गणेश विसर्जन पूजा विधि
1. भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। विसर्जन से पहले उनका तिलक करके किया जाता है।
2. उसके बाद उन्हें फूलों का हार, फल, फूल,मोदक लड्डू आदि चढ़ाए जाते हैं।
3.इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है।
4.भगवान गणेश को पूजा में जो भी सामग्री चढ़ाई जाती है। उसे एक पोटली में बांध लिया जाता है।
5. इस पोटली में सभी सामग्री के साथ एक सिक्का भी रखा जाता है और उसके बाद गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश के विसर्जन के साथ ही इस पोटली को भी बहा दिया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा वेद व्यास जी ने गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी। जिसे भगवान श्री गणेश जी ने लगातार लिखा था। दसवें दिन जब भगवान वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खोली तो उन्होंने पाया की गणेश जी का शरीर बहुत अधिक गर्म हो गया है। जिसके बाद वेद व्यास जी ने अपने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया था।इसी वजह से गणेश जी को चतुदर्शी के दिन शीतल जल में प्रवाह किया जाता है।
इसी कथा अनुसार गणेश जी के शरीर का तापमान इससे अधिक न बढ़े। इसके लिए वेद व्यास जी ने सुगंधित मिट्टी से गणेश जी का लेप भी किया था। जब यह लेप सूखा तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया था। जिसके बाद मिट्टी भी झड़ने लगी थी। जिसके बाद उन्हें सरोवर के पानी में ले जाकर शीतल किया गया था। उस समय वेदव्यास जी ने 10 दिनों तक गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया था। इसी कारण से भगवान श्री गणेश को स्थापित और विसर्जन भी किया जाता है। इन 10 दिनों में गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया जाता है।
इसीलिए गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को घर लाकर उनकी स्थापना की जाती है और पूरे विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में भगवान गणेश के कान में सभी भक्त अपनी मनोकामनाएं बोलते हैं। जिसे सुनकर भगवान गणेश का तापमान बढ़ जाता है। उसी तापमान को कम करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है। इसके साथ एक मान्यता यह भी है कि ईश्वर को कोई भी बांधकर नहीं रख सकता।
भगवान गणेश को गणेश चतुर्थी पर घर लाकर एक ओर उन्हें भूलोक ले तो आते हैं। लेकिन उनका सही मायने में स्थान स्वर्गलोक ही है। इसी कारण से कहा जाता है कि भगवान गणेश की प्रतिमा को विसर्जित करके उन्हें स्वर्ग लोक भेज दिया जाता है। जिससे वह सभी देवी देवताओं को यह बता सकें कि भूलोक का क्या हाल है। उनके भक्तों की मनोकामनाएं वह पूरी कर सकें।