Ganga dussehra 2024 : गंगा की सहायक नदियां कौन कौनसी हैं?

WD Feature Desk
शुक्रवार, 14 जून 2024 (15:23 IST)
Ganga Dussehra 2024: जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई थी वह दिन वैशाख शुक्ल सप्तमी है, जिसे गंगा जयंती या गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है ज‍बकि जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ज्येष्ठ शुक्ल दशमी है, जो कि 'गंगा दशहरा' के नाम से जनमानस में बहुप्रचलित है। 16 जून 2024 को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। आओ जानते हैं गंगा के धरती पर अवतरण और संगम के बारे में। 
ALSO READ: Ganga dussehra 2024 : मां गंगा की 3 रोचक पौराणिक कथाएं
धरती पर गंगा का आगमन : सर्वप्रथम गंगा ने विष्णु जी के वामन रूप के चरण से निकलकर ब्रह्मा जी के कमंडल में स्थान पाया। इसके बाद वे कमंडल से निकलकर शिवजी की जटाओं में विराजमान हो गई। फिर भागीरथ के निवेदन पर वह शिवजी की जटाओं से मुक्त हुई तो कई धाराओं में निकलकर धरती पर आई। जहां से निकलकर कई धाराओं में विभक्त होकर आगे बड़ी। 
 
गौमुख से निकली गंगा : किंतु वस्तुत: उनका उद्गम 18 मील और ऊपर श्रीमुख नामक पर्वत से है। वहां गोमुख के आकार का एक कुंड है जिसमें से गंगा की धारा फूटी है। 3,900 मीटर ऊंचा गौमुख गंगा का उद्गम स्थल है। इस गोमुख कुंड में पानी हिमालय के और भी ऊंचाई वाले स्थान से आता है।
ALSO READ: Ganga Dussehra Aarti: गंगा दशहरा पर करें यह पवित्र आरती
गंगोत्री मुख्‍य पड़ाव : गंगा का उद्गम दक्षिणी हिमालय में तिब्बत सीमा के भारतीय हिस्से से होता है। गंगोत्री को गंगा का उद्गम माना गया है। गंगोत्री उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगा का उद्गम स्थल है। सर्वप्रथम गंगा का अवतरण होने के कारण ही यह स्थान गंगोत्री कहलाया। 
 
गंगा की मुख्य 12 धाराएं : हिमालय से निकलकर गंगा 12 धाराओं में विभक्त होती है इसमें मंदाकिनी, भागीरथी, धौलीगंगा और अलकनंदा प्रमुख है। गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो कुमाऊं में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है। यहां गंगाजी को समर्पित एक मंदिर भी है।
 
हरिद्वार को कहते हैं गंगा द्वार : हिमालय से निकलकर यह नदी प्रारंभ में 3 धाराओं में बंटती है- मंदाकिनी, अलकनंदा और भगीरथी। देवप्रयाग में अलकनंदा और भगीरथी का संगम होने के बाद यह गंगा के रूप में दक्षिण हिमालय से ऋषिकेश के निकट बाहर आती है और हरिद्वार के बाद मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है। हरिद्वार को गंगा द्वार भी कहते हैं क्योंकि यहीं से गंगा पहाड़ों से उतरकर मैदानी इलाके में आगे बढ़ती है।ALSO READ: Ganga dussehra 2024: गंगाजल के कब-कब और क्या-क्या होते हैं उपयोग
 
गंगा का अन्य नदियों से संगम : गंगा सागर में मिलने के पहले गंगा में कई अन्य नदियां मिलती हैं जिसमें प्रमुख हैं- सरयू, यमुना, सोन, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, कोसी, घुघरी, महानंदा, हुगली, पद्मा, दामोदर, रूपनारायण, ब्रह्मपुत्र और अंत में मेघना। गंगा देवप्रयाग, हरिद्वार, ऋषिकेश से प्रयागराज पहुंचकर यह यमुना से मिलती है।
 
गंगा की सहायक नदियों के नाम: गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियां यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, त्रिशूल, कोसी और काक्षी हैं। दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, शारदा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। उपरोक्त बताई गई गंगा की मुख्य 12 धाराएं भी उसकी सहायक नदियां ही हैं।
 
गंगा का सागर से संगम : फिर यह नदी उत्तराखंड के बाद मध्यदेश से होती हुई यह नदी बिहार में पहुंचती है और फिर पश्चिम बंगाल के हुगली पहुंचती है। यहां से बांग्लादेश में घुसकर यह ब्रह्मपुत्र नदी से मिलकर गंगासागर, जिसे आजकल बंगाल की खाड़ी कहा जाता है, में मिल जाती है। हुगली नदी कोलकाता, हावड़ा होते हुए सुंदरवन के भारतीय भाग में सागर से संगम करती है। इस स्थान को गंगा सागर कहते हैं। कहते भी हैं कि सारे तीरर्थ बार बार गंगा सागर एक बार।ALSO READ: Ganga dussehra 2024: गंगा दशहरा पर गंगा स्नान और पूजा से 10 तरह के पापों से मिलती है मुक्ति

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख