मनुष्य के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भोजन और शिक्षा के अलावा खेलकूद भी जरूरी होता है। खेलों से बच्चों का मनोरंजन होने के साथ ही उनमें अनुशासन और परस्पर सदभाव जागृत होता है। ओलिम्पिक खेलों का भी यही उदेश्य है कि खिलाड़ियों में छिपी प्रतिभा और शक्ति को दुनिया के सामने लाया जाए।
पहला ओलिम्पिक- ईसा से लगभग बारह सौ वर्ष पूर्व यूनान के ओलिम्पिक नामक स्थान पर 'ओलिम्पिक खेल' का आयोजन किया गया। इसकी खेल की शुरुआत हरक्यूलिस ने की थी। पहले तक इन खेलों में दौड़, कूद, रथ कूद, कुश्ती, मुक्केबाजी, कुश्ती आदि प्रतियोगिता होती थी। पहले भी इसी तरह से भव्य और आकर्षक खेल होते थे।
सैकड़ों वर्ष बाद इन खेलों को फिर से शुरू किया गया। फ्रांस के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री 'बेरन पियरे द कुबर्तिन' थे। खेलों के उदेश्य से उन्होंने सन 1888 में 'एकविल संस्था' की स्थापना की। इसका प्रमुख कार्य फ्रांस के स्कूलों में शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देना था।
16 जून 1896 को इंग्लैंड, अमेरिका, रूस, स्वीडन, यूनान आदि देशों के प्रतिनिधि बातचीत के लिए एकत्र हुए। वहां पर कुबर्तिन ने खेलों के विकास के बारे में बताया। सभी देशों की मंजूरी के बाद इसे आरंभ किया गया। इसलिए इन खेलों का श्रेय बेरन को ही जाता है।
पहला ओलिम्पिक 1896 में एथेंस में आयोजित हुआ। इसमें दौड़, साइकल दौड़, लॉन टेनिस, तैराकी निशानेबाजी कुश्ती आदि खेल होते थे। यह खेल हर चार वर्ष में आयोजित किए जाते हैं। उस समय इन खेलों में महिलाएं भाग नहीं लेती थीं।
इन खेलों के उदघाटन समारोह में यूनान के एथेंस नामक स्थान से ओलिम्पिक मशाल को धावक उठाकर लाते थे। इसमें विजेताओं को स्वर्ण, रजत कांस्य पदक दिए जाते थे।
सन 2004 में यूनान की राजधानी एथेंस में 28वें ओलिम्पिक का आयोजन किया गया, जबकि 29वें का वर्ष 2008 में बीजिंग (चीन) में किया गया। इस साल लंदन में 30वां ओलिम्पिक आयोजित किया जा रहा है।