टीके मानव शरीर में एंटीबॉडिज़ का निर्माण कर कारगर होते हैं। ये मानव शरीर को बीमारी से लड़ने के काबिल बनाते हैं बिना इसे इंफेक्ट किए। अगर टीका लगा हुआ व्यक्ति उस खास बीमारी के संपर्क में आता है तो उसका इम्यून सिस्टम इसे पहचान लेता है और तुरंत एंटीबॉडिज़ रिलीज करता है। ये एंटीबॉडिज बीमारी से लड़कर उसे खत्म कर देते हैं।
नए पैदा हुए बच्चे पहले से ही कई बीमारियों से सुरक्षित होते हैं। इन बीमारियों में खसरा और रूबेला शामिल हैं। ऐसा बच्चों में मां के द्वारा मिले एंडीबॉडिज़ की वजह से होता है। इसे पैसिव इम्यूनिटी कहते हैं। पैसिव इम्यूनिटी सामान्यतौर पर कुछ ही हफ्ते या महीनों असरकारी होती है। खसरा और रूबेला के केस में पैसिव इम्यूनिटी एक साल तक असर करती है।
इसके बाद पैथोजेन में कुछ बदलाव किए जाते हैं ताकि यह पक्का हो सके कि यह स्वयं कोई बीमारी नहीं पैदा करेगा। इसके बाद इस पैथोजेन को अन्य टीके की चीजों के साथ मिलाया जाता है जैसे स्टेबलाइजर्स, प्रिजर्वेटिव। इस तरह टीका का डोज़ तैयार होता है।