कोरोना काल में पढ़ने-लिखने के मामले में बहुत कुछ बदलाव आया है। सुविधा - असुविधा का खेल रहा है। जिसका बच्चों पर काफी असर पड़ा है। कई सारे बच्चे करीब 2 साल से पढ़ाई से वंचित रह गए। बता दें कि हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। सबसे पहला विश्व साक्षरता दिवस 1966 में मनाया गया था। हर साल एक थीम तैयार की जाती है। साक्षरता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है इससे पहले जान लेते हैं साक्षरता का मतलब क्या है?
साक्षरता का मतलब
साक्षरता शब्द से तात्पर्य है पढ़ने और लिखने में सक्षम होना। समूचे विश्व में हर वर्ग तक शिक्षा पहुंचे।
साक्षरता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
साक्षरता दिवस की शुरूआत यूनेस्को से 7 नवंबर 1965 में साक्षरता दिवस को मनाने का फैसला लिया गया। इसके बाद 1966 में इस दिवस को पहली बार मनाया गया। इस दिवस को मनाने के लिए एक दिवस निर्धारित करना था और 8 सितंबर तय किया गया। इसके बाद से हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाने लगा। यह दिवस को मनाने का उद्देश्य है राष्ट्र और मानव विकास के लिए देश का हर वर्ग शिक्षित हो ऐसा जरूरी है। उन्हें उनके शिक्षा के अधिकारों के बारे में पता होना जरूरी है। लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना, पढ़ाई का उद्देश्य बताना। देश की साक्षरता दर बढ़ती है तो विकास के कार्यों में भी सफलता और अधिक तेजी से मिलती है। इसलिए संपूर्ण विश्व साक्षरता दिवस को खासतौर पर मनाया जाता है।
विश्व साक्षरता दिवस 2021 थीम
हर साल संगठन द्वारा अलग - अलग थीम तैयार की जाती है। इस साल विश्व साक्षरता दिवस 2021 की थीम है 'मानव केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता - डिजिटल विभाजन को कम करना'। गौरतलब है कि कोरोना के संकट में बच्चों से लेकर वयस्क तक सभी की शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इस काल में कई लोग ऑनलाइन पढ़ाई से भी वंचित रह गए।
भारत में साक्षरता का अनुपात
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस सर्वे के अनुसार 75वें नेशनल सैंपल सर्वे जुलाई 2017 से जून 2018 में भारत में राज्यवार साक्षरता दर रिकॉर्ड की गई। सर्वे के मुताबिक करीब 77 फीसदी दर पाई गई। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 73.5 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 87.7 फीसदी दर्ज की गई है।
2017-18 के सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक साक्षरता वाले राज्य -