परिवर्तन में प्रगति की संभावना होती है, इसलिए लोकसेवा आयोग ने दो वर्ष पहले सरकार को इस बात की आवश्यकता से अवगत कराया था कि, प्रशासनिक सेवाओं में उम्मीदवारों में ज्ञान के साथ प्रशासनिक सेवाओं की दक्षता भी होना चाहिए। इसीलिए अब सरकार ने फैसला किया है, कि 'लोक सेवा प्रारम्भिक परीक्षा' के स्थान पर 'लोकसेवा दक्षता परीक्षा' ली जाए। यह परीक्षा परीक्षार्थियों की दक्षता और विश्लेषण करने की क्षमता का परीक्षण करेगी, ना कि उनकी स्मरण शक्ति का।
अब ऐसे लोकसेवक चुने जाएंगे, जो नैतिक मूल्यों के साथ समझौता किए बिना निर्णय ले सकें। जिनमें अभिप्रेरण (मोटिवेशनल स्किल), द्वन्द प्रबंधन (कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट), प्रशासनिक व्यवहार, सामूहिक मनोवृति, मानवीय गुण, सुरक्षा के क्षेत्र में नीवनतम तकनीकों का ज्ञान, कानून और व्यवस्था की समझ, राजनीतिक चातुर्य, सूचना प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र, अन्तराष्ट्रीय व्यापार की अच्छी समझ जैसे गुण रखते हो।
नई परीक्षा पद्धति में सभी को समान रूप से अपनी योग्यता सिद्ध करने का मौका मिलेगा और स्केलिंग पद्धति से निजात मिलेगी। अब केवल किताबी ज्ञान ही नही, व्यवहारिक ज्ञान भी आवश्यक होगा। केवल प्रयास करने वाले ही नही, परिणाम देने वाले लोक सेवकों को चुना जाएगा।
परिक्षार्थियों का मनोवैज्ञानिक आंकलन होगा। लोकप्रशासन, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, विभिन्न आर्थिक स्थितियां, विभिन्न भौगोलिक स्थितियां, तकनीकों का ज्ञान, कानून और व्यवस्था, यह सब जानकारी महत्वपूर्ण होगी। यह परीक्षा पद्धति 2011 से लागू होगी जो कि केवल प्रारम्भिक स्तर की परीक्षा पर लागू होगी। दूसरा और तीसरा स्तर अर्थात मुख्य परीक्षा और इन्टरव्यू पूर्ववत्त रहेंगे।
प्रारम्भिक स्तर में दो पेपर होंगे दोनो पेपर समान अंक के होंगे। इसमें (1) लोकसेवकों की वास्तविक दक्षता को परखा जाएगा। (2) निर्णय लेने की नैतिक और नीति परख आयाम का परीक्षण होगा। इनके पाठ्यक्रम का फैसला अभी होना बाकी है। इस नए परिवर्तन से जिन परिक्षार्थियों में प्रशासनिक सेवाओं के लिए दक्षता है, उन्हें लाभ होगा जो विद्यार्थी कैट, जीमैट आदि परिक्षाओं की तैयारी करते है, उन्हें भी प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी में मदद मिलेगी।
इंजीनियरिंग करने वाले विद्यार्थी के लिए भी यह एक अच्छा मौका होगा। तो विद्यार्थीयों को अभी से ही मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, विभिन्न स्थितियों में पूछे जाने वाले प्रश्नों की अभी से तैयारी करना चाहिए। हर वर्ष लगभग 1.7 लाख विद्यार्थी संघ लोकसेवा आयोगों के प्रारम्भिक परीक्षा में सम्मिलित होते है। इस वर्ष यह संख्या और अधिक बढने की सम्भावना है।