अहमदाबाद। गुजरात में छठी बार भाजपा को सत्ता में काबिज करवाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फूले नहीं समा रहे हैं और इसके लिए पूरे गुजरात की जनता का गर्मजोशी के साथ आभार भी मान रहे हैं लेकिन दिल के किसी कोने में उन्हें ये बात फांस बनकर चुभ रही है कि आखिर 'भाजपा लहर' के बावजूद उनके घर में कैसे भाजपा हार गई?
मोदी के सिर में इसलिए भी ज्यादा बल पड़ रहे हैं क्योंकि मेहसाणा जिले की दो विधानसभाओं में पूरा दम लगाने के बावजूद भाजपा के प्रत्याशी कांग्रेस के हाथों हार गए, जिनमें से एक उंझा विधानसभा भी है, जिसमें उनका गृहनगर वडनगर शामिल है। इसके अलावा बेचराजी सीट पर भी भाजपा के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा। ये वही वडनगर है, जहां के रेलवे स्टेशन पर मोदी बचपन में चाय बेचा करते थे और इसी काम को भुनाते हुए मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता पर काबिज करवाया था।
उंझा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार आशा पटेल ने भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा विधायक नारायण पटेल को 19000 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता पटेल (79 वर्ष) ने 40 वर्षीय आशा पटेल को हराया था। इसी तरह बेचराजी सीट पर कांग्रेस के भरतजी सोनाजी ठाकोर ने भाजपा के रजनीकांत सोमाभाई पटेल को 15811 मतों के बड़े अंतर से हराया, जबकि पिछले चुनावों में भाजपा के रजनीकांत पटेल ही यहां से विधायक निर्वाचित हुए थे।
इस बार पटेल आरक्षण आंदोलन तथा ठाकोर समुदाय का झुकाव कांग्रेस की ओर बढ़ने के बाद तस्वीर बदल गई। उंझा के कुल 2.12 लाख मतदाताओं में 77 हजार पाटीदार हैं, वहीं करीब 50 हजार मतदाता ठाकोर समुदाय से आते हैं। उंझा को उमिया माता मंदिर के लिए भी जाना जाता है, जो काडवा पटेल समुदाय की कुलदेवी हैं। वडनगर में मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों ने ही रैलियां की थीं।