धार्मिक धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान तथा दान-पुण्य करने का महत्व बताया गया है। इस वर्ष शुक्रवार, 23 जुलाई 2021 को पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी और शनिवार, 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा पर्व महर्षि वेद व्यास को प्रथम गुरु मानते हुए उनके सम्मान में मनाया जाता है। महर्षि वेद व्यास ही थे जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। चूंकि गुरु वेद व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेद का ज्ञान दिया था इसलिए वे सभी के प्रथम गुरु हुए। इसलिए उनके जन्मदिवस के दिन उनके सम्मान में यह पर्व मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा का शुभ समय-
अमृत काल- सुबह 01:00 बजे से सुबह 02:26 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त- अलसुबह 04:10 मिनट से 04:58 मिनट तक।