Anti-tobacco Day : धूम्रपान छीन सकता है आंखों की रोशनी
तंबाकू पूरे शरीर के साथ आंखों पर भी विपरीत असर डालती है। धूम्रपान करने वालों की आंखों में जलन से लेकर अंधत्व तक कोई भी समस्या खड़ी हो सकती है। उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ितों को तो धूम्रपान से तौबा कर ही लेना चाहिए, क्योंकि इससे रक्त में निकोटिन का स्तर बढ़ जाता है, जो रेटीना के लिए घातक होता है। धूम्रपान करने का अर्थ है शरीर को अंदर से खोखला करना।
तंबाकू के हानिकारक दुष्प्रभावों की जड़ निकोटिन है, क्योंकि इसमें मौजूद कई ऑक्सीडेंट्स आंखों को नुकसान पहुँचाने के लिए जिम्मेदार हैं। धूम्रपान करने वालों के परिजनों को भी यह जोखिम हमेशा बना रहता है। कई बार धूम्रपान नहीं करने वालों की आंखें सिगरेट या बीड़ी के गुल से जल जाती हैं।
धूम्रपान करने वालों की आंखों को तंबाकू के जहरीले धुएँ में मौजूद रसायनों से कंजक्टिवा के ग्लोबलेट सेल्स क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिनसे आंख की सतह पर नमी बनी रहती है। इसी तरह धुएं में मौजूद कारबन पार्टीकल्स पलकों पर जमा हो सकते हैं, इससे भी आंखों की नमी और गीलापन खत्म हो सकता है।
आंखों का गीलापन या नमी खत्म होने से आंखें शुष्क हो सकती हैं, जिससे हमेशा किरकिराहट का अहसास बना रह सकता है। हमेशा यह लगेगा कि आंख में कोई कचरा चला गया है। लंबे समय तक शुष्क बने रहने से नजर धुंधला भी सकती है।
चूने की थैली से गई कई आंखें
जो लोग जर्दा या तंबाकू मसलकर खाते हैं वे साथ में चूने का पाउच भी रखते हैं। आमतौर पर गीला चूना पॉलीथिन के बैग में रखा जाता है ताकि गर्मियों के मौसम में सूख न जाए। लापरवाही से छोड़ी गई इस सफेद थैली को छोटे बच्चे अक्सर खेल-खेल में उठा लेते हैं और दबाकर देखते हैं। दबाते ही चूना सीधा आंख में चला जाता है। चूना आंखों की सतह को क्षतिग्रस्त कर देता है। अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि कई बच्चों की आंखें इसी वजह से हमेशा के लिए खराब हो चुकी हैं। तंबाकू का एक साइड इफेक्ट यह भी है।
धूम्रपान से आंखों की समस्याएं
मोतियाबिंद का निर्माण
काला मोतिया या कांचबिंद
उम्र आधारित मेक्युलर डिजनरेशन
थॉयरॉयड, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं के रहते धूम्रपान आँखों को और अधिक क्षतिग्रस्त करता है।
टॉक्सीक एम्बलायोपिक व ऑप्टिक न्यूरोपैथी जैसी बीमारियाँ।
मोतियाबिंद : देश - कई अध्ययनों से पता चला है कि तंबाकू का सेवन करने वालों में मोतियाबिंद दूसरों के मुकाबले ज्यादा जल्दी घर कर लेता है। इसी तरह न्यूक्लियर और पोस्टियर पोलर किस्म के कैटरेक्ट भी इन्हीं लोगों को छोटी उम्र से ही होने लगते हैं।
काला मोतिया : काला मोतिया के मामलों में हुए कई अध्ययन सुझाते हैं कि तंबाकू के सेवन से इंट्रा ऑक्यूलर प्रेशर बढ़ता है, जिन्हें कालामोतिया है और वे बूँद की दवा डालते हैं उन्हें इंट्रा ऑक्यूलर प्रेशर को नियंत्रित रखने में दूसरों के मुकाबले अधिक समस्या आती है।
उम्र आधारित मेक्यूलर डिजनरेशन : कई अध्ययनों से पता चला है कि धूम्रपान-तंबाकू का सेवन करने वालों को दूसरों के मुकाबले उम्र आधारित मेक्यूलर डिजनरेशन का जोखिम दुगुना रहता है।
एम्बलायोपिया और ऑप्टिक न्यूरोपैथी : तंबाकू सेवन का सबसे बुरा नतीजा है एम्बलायोपिया और ऑप्टिक न्यूरोपैथी। तंबाकू में मौजूद निकोटिन रेटीना और ऑप्टिक नर्व के सेलों पर घातक प्रभाव छोड़ते हैं। दृष्टि के लिए रेटीना और ऑप्टिक नर्व महत्वपूर्ण होती है। लंबे समय तक तंबाकू के सेवन के आँखों को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
थायरॉयड, मधुमेह और उच्च रक्तचाप : इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन घातक साबित होता है। इससे रक्त में निकोटिन और ऑक्सीडेंट्स का स्तर बढ़ जाता है।