ह्दय रोग का खतरा पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ गया है। जिस बीमारी का खतरा कभी 60 या 70 वर्ष की आयु के बाद अधिक होता था वह घटकर 30 से 40 साल की उम्र में आ गया है। जी हां, युवा भी इस बीमारी की चपेट में अधिक से अधिक आ रहे हैं। ह्दय से जुड़ी जरा सी भी परेशानी होने पर इंसान के सतर्क हो जाने में ही भलाई है। 30 की उम्र के बाद से युवा बहुत अधिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने लगे हैं। हार्ट से संबंधित कई सारी बड़ी बीमारियां है। जो एक जैसी नजर आती है लेकिन अलग-अलग है। आइए जानते हैं हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट में क्या अंतर है...
हार्ट अटैक और लक्षण
हार्ट अटैक जिसे दिल का दौरा कहते हैं। हार्ट अटैक तब आता है जब ह्रदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में से एक नली ब्लॉक हो जाती है। जहां पर रक्त का थक्का जम जाता है। तब हार्ट अटैक का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक के लक्षण -
- छाती के मध्य गंभीर रूप से दर्द होना।
- उल्टे हाथ और जबड़ों में दर्द महसूस करना।
- सांस की तकलीफ।
- घबराहट होना, पसीना आना, मतली आना।
हार्ट फेलियर और लक्षण
हार्ट फेलियर होना हार्ट अटैक से अलग है। हार्ट फेलियर तब होता है जब आपका ह्दय आवश्यकता अनुसार रक्त पंप करने में सक्षम नहीं हेाता है। कमजोर मांसपेशियां या कठोर मांसपेशियों के कारण पंपिंग फेलियर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए नियमित रूप से वॉक और योग, प्राणायाम करने की सलाह दी जाती है।
हार्ट फेलियर के लक्षण
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- ठीक से सोने में तकलीफ होना।
- जल्दी - जल्दी थकान होना।
- एक्टिविटी करने के बाद थकान महसूस करना।
कार्डियक अरेस्ट और लक्षण
कार्डियक अरेस्ट में इंसान का ह्दय अचानक से पंप करना बंद कर देता है। ऐसा तब होता है जब दिल बहुत तेजी से धड़कता है और रक्त का संचालन पूरी बॉडी में असंतुलित हो जाता है। पंपिंग पूरी तरह से अप्रभावित हो जाती है। शरीर के सभी अंगों तक रक्त पहुंचाने में दिक्कत आने लगती है। और ऐसा अचानक पर होता है।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
- पंप बंद होने से अचानक मौत हो जाती है।
- चलते-चलते जमीन पर गिर जाना।
-CPR की ट्रेनिंग से व्यक्ति को बचाया जा सकता है लेकिन कुछ मिनट में।