भारत में रक्तदान दिवस तो मनाया जाता है लेकिन राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस भी मनाया जाता है। हर साल 1 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य जीवन में रक्त की आवश्यकता और उसके महत्व को समझाने से अभिप्राय है। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस सबसे पहले 1975 में 1 अक्टूबर को मनाया गया था। इस विशेष दिन की शुरूआत इंडियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रॉसफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहैमेटोलॉजी द्वारा मनाया गया था। गौरतलब है कि 1971 में डॉ. जे.जी.जौली और मिसीज के. स्वरूप के नेत़त्व में इंडियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रॉसफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहैमेटोलॉजी की स्थापना की थी।
यह दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि रक्त का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। सड़क दुर्घटना, महिलाओं की समस्या, गंभीर बीमारी में खून की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। अधिक से अधिक जागरूक किया जाता है। अक्सर लोगों के मन में रक्तदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है। जिससे भी कई बार जरूरतमंदों को सही समय पर रक्त नहीं मिल पाता है। वहीं भारत में कुछ राज्य ऐसे में जहां पर लोग स्वैच्छा से रक्तदान करते हैं। त्रिपुरा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र इन राज्यों को स्वैच्छिक रक्तदाताओं के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर माना जाता है। त्रिपुरा में सबसे अधिक 93 फीसदी स्वैच्छा से रक्तदान करते हैं। यह देश के सबसे उच्चतम स्तर पर है। वहीं मणिपुर राज्य में सबसे कम रक्तदान किया जाता है।
स्वैच्छिक रक्तदान ही सबसे अच्छा तरीका हैं। उसका यह फायदा है कि उन्हें किसी प्रकार का लालच नहीं रहता है। साथ ही किसी भी प्रकार की बीमारी को लेकर नहीं छिपाते हैं। रक्तदान करने के कुछ नियम होते हैं। उन मापदंडों के आधार पर ही रक्तदान कर सकते हैं। आपकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होना चाहिए। वजन 45 किलो या इससे अधिक, पल्स रेट - 60 से 100\मिनट, शरीर का तपामान 37.5 डिग्री से अधिक नहीं होना चाहिए। हिमोग्लोबिन 12.5ग्राम रेंज तक होना चाहिए, बीपी सामान्य होना चाहिए। इन सभी मापदंडों के आधार पर रक्तदान कर सकते हैं। वहीं अगर आपको गंभीर बीमारी है तो पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें। इसके बाद ही ब्लड डोनेट करें।