क्‍यों आते हैं खर्राटे, क्‍या है अल्‍कोहल और खर्राटों के बीच ‘कनेक्‍शन’

खर्राटे आना एक ऐसी समस्‍या है, जिससे सबसे ज्‍यादा असर आसपास सोने वालों पर पड़ता है, लेकिन मरीज को इसका पता तक नहीं चलता। दुनिया में कई ऐसे मामले भी सामने आ चुके हैं, जब खर्राटों के लिए रिश्‍ते तक टूट गए।

एक्‍सपर्ट कहते हैं, इसका इलाज जरूरी है, वरना सीधे तौर पर मरीज की नींद बाधित होती है। नींद न पूरी होने पर कई तरह की दिक्‍कतें आना शुरू हो जाती हैं।

मेयोक्‍लीनिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  जब कोई नींद के दौरान सांस लेता और छोड़ता है तो गर्दन के सॉफ्ट टिश्‍यू में एक तरह का कंपन्‍न यानी वाइब्रेशन होता है। ऐसा होने पर खर्राटे की आवाज आती है। सभी लोगों में ऐसी ही प्रक्रिया होती है, लेकिन कुछ लोगों में इतनी तेज आवाज आती है कि खर्राटे साफतौर पर सुने जा सकते हैं।

खर्राटे सभी लोगों को क्‍यों नहीं आते? इस पर मेयो क्‍लीनिक की एक रिपोर्ट कहती है, खर्राटे आने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे- अल्‍कोहल लेने की आदत, किसी तरह की एलर्जी, अधि‍क वजन होना और साइनस या मुंह की आंतरिक संरचना में किसी तरह की गड़बड़ी होना। ऐसी किसी स्थिति में सांस जाने वाले रास्‍ता यानी एयरवे ब्‍लॉक होने लगता है और एक वाइब्रेशन पैदा होता है। नतीजा, खर्राटे की आवाज आने लगती है।

खर्राटे लेने वाले ज्‍यादातर मरीजों की नींद नहीं पूरी होती। इसलिए उनमें कुछ लक्षण दिखते हैं। लक्षणों के आधार पर यह समझा जा सकता है कि इन्‍हें खर्राटे आते हैं या नहीं। जैसे- सुबह किसी चीज में मन न लगना, सिरदर्द महसूस होना, और गले में दिक्‍कत।

एक्‍सपर्ट कहते हैं, खर्राटों को रोकने के लिए सबसे पहले शराब से दूरी बनाएं क्‍योंकि अल्‍कोहल लेने से मांसपेशियां इतनी ज्‍यादा रिलैक्‍स हो जाती हैं कि एयरवे सिकुड़ जाता है। नतीजा, खर्राटे आते हैं, इसलिए इससे दूरी बनाएं। इसके अलावा वजन को कंट्रोल में रखें और नाक को साफ रखें।

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