कोरोना की चपेट में आए मरीज लॉन्ग कोविड का शिकार हो रहे हैं। कोविड से ठीक होने के बाद मरीजों में थकान, खांसी, कमजोरी, तनाव जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। कई लोगों में बाल झड़ने की समस्या से भी दो चार होना पड़ रहा है। वहीं कई मरीज कोविड में इस्तेमाल हुए स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट से भी पीड़ित है। कुछ ऐसे मरीज भी है जिन्हें बीपी, कोलेस्ट्रॉल, शुगर की समस्या से भी रूबरू होना पड़ रहा है। कोविड वायरस पर जितनी रिसर्च समूची दुनिया में की जा रही है उतनी ही रिसर्च पोस्ट कोविड के लक्षणों पर भी नजर रखी जा रही है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में हुई स्टडी में लक्षणों में कारकों का पता चला। शोधकर्ताओं द्वारा कोविड से ठीक होने के बाद 200 लोगों पर 3 महीने तक रिसर्च की गई। उन्हें 4 फैक्टर मुख्य रूप से सामने आए।
पहला - संक्रमण की शुरुआत में आने वाले कोरोना वायरस RNA लेवल है, जो कि संक्रमित व्यक्ति के खून में वायरस की मात्रा बताता है।
दूसरा - कुछ एंटीबॉडी ऐसी होती है जो शरीर के टिश्यू पर ही हमला करती है। जैसे हृदय, फेफड़े, दिमाग और किडनी पर से संबंधित बीमारियों में होता है।
तीसरा - एपस्टीन-बार वायरस का एक्टिव होना। यह वह वायरस है जिसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ही बॉडी के हिस्से को नुकसान पहुंचाता है। जिससे थकान, भूख नहीं लगना, वजन घटना समस्या होने लगती है। हालांकि इसका इलाज संभव है। सही वक्त पर सही परामर्श मिलने पर जल्द ही इसे उबरा जा सकता है।
चौथा - टाइप 2 डायबिटीज मरीजों को लॉन्ग कोविड का जोखिम अधिक होता है।
50 फीसदी मरीजों में गंध न आने की समस्या
स्वीडन के एक अध्ययन में पाया गया कि पहली लहर में संक्रमित हुए मरीजों में करीब 50 फीसदी लोगों को गंध न आने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।