एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह भी पाया गया कि इस आयुर्वेदिक दवा के क्लिनिकल ट्रॉयल में शामिल हुए मरीजों में ग्लाइकोसाइलेटेड हीमोग्लोबिन स्तर की जांच की गई और यह कम से कम आधे मरीजों में यह नियंत्रण में था। ग्लाइकोसाइलेटेड हीमोग्लोबिन स्तर की जांच मधुमेह मेलिटस के दीर्घकालिक नियंत्रण की निगरानी के लिए की जाती है।
यह परिणाम इसके मद्देनजर महत्व रखता है कि सामान्य के नजदीक ग्लाइकोसाइलेटेड हीमोग्लोबिन स्तर माइक्रोबस्कुलर और मैक्रोवास्कुलर जटिलताओं के खतरे को कम करता है जिससे अंग और ऊतक क्षति होती है। अधिकारी ने कहा कि इस औषधि को सीएसआईआर लेबोरेटरीज, नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट (सीआईएमएपी) द्वारा तैयार किया गया है।