सरकार द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार, इन 156 फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन (FDC) दवाओं के इस्तेमाल से इंसानों के लिए जोखिम होने की संभावना है, जबकि इन दवाओं के सुरक्षित विकल्प मौजूद हैं। इस मामले की जांच केंद्र द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति ने की थी, जिसने इन FDC को तर्कहीन बताया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) ने भी इन दवाओं की जांच की और सिफारिश की कि इन FDC में शामिल दवाओं का मेडिकल साइंस के हिसाब से कोई औचित्य नहीं है।
क्या है पैरासिटामोल और पेनकिलर खाने के नुकसान:
पैरासिटामोल और पेनकिलर दर्द और बुखार से राहत दिलाने के लिए बहुत आम दवाएं हैं। ये सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दांतों में दर्द और बुखार के लिए बहुत कारगर होती हैं। लेकिन, हर दवा की तरह इनके भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
1. पेट में दर्द : पैरासिटामोल और कुछ पेनकिलर पेट में जलन या दर्द का कारण बन सकते हैं।
2. एलर्जी : कुछ लोगों को इन दवाओं से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर लाल चकत्ते, खुजली या सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
3. किडनी और लीवर पर अस र: ज़्यादा मात्रा में या लंबे समय तक इन दवाओं का इस्तेमाल करने से किडनी और लीवर पर बुरा असर पड़ सकता है।
4. खून पतला होना : कुछ पेनकिलर खून पतला कर सकते हैं, जिससे चोट लगने पर ज़्यादा खून बह सकता है।
पैरासिटामोल क्यों हुई बैन?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 अगस्त को जारी अधिसूचना में बताया कि सरकार ने दर्द की दवाओं के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले एसेक्लोफेनाक 50 एमजी + पैरासिटामोल 125 एमजी टैबलेट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रतिबंधित एफडीसी में मेफेनामिक एसिड + पैरासिटामोल इंजेक्शन, सेट्रीजीन एचसीएल + पैरासिटामोल + फेनिलफ्रीन एचसीएल, लेवोसेट्रीजीन + फेनिलफ्रीन एचसीएल + पैरासिटामोल, पैरासिटामोल + क्लोरफेनिरामाइन मैलेट + फेनिल प्रोपेनोलामाइन और कैमिलोफिन डाइहाइड्रोक्लोराइड 25 मिलीग्राम + पैरासिटामोल 300 मिलीग्राम भी शामिल हैं।
पेनकिलर पर बैन क्यों?
सरकार ने पैरासिटामोल, ट्रामाडोल, टारिन और कैफीन के संयोजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। ट्रामाडोल दर्द निवारक दवा है। अधिसूचना के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने पाया कि एफडीसी दवाओं का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, जबकि सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं। इस मामले की जांच केंद्र द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने की थी।
पहले भी लगाया गया था 14 एफडीसी पर प्रतिबंध
पिछले साल जून में भी 14 एफडीसी पर प्रतिबंध लगाया गया था। सरकार ने 2016 में 344 एफडीसी के निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। इस फैसले को दवा कंपियों ने अदालत में चुनौती दी थी।
औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) ने भी इन एफडीसी की जांच की और सिफारिश की कि इन एफडीसी का कोई औचित्य नहीं है।
अधिसूचना में कहा गया है कि एफडीसी से खतरा हो सकता है। इसलिए जनहित में इन एफडीसी के निर्माण, बिक्री या वितरण पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। इस सूची में कुछ ऐसी दवाएं शामिल हैं जिन्हें कई दवा निर्माताओं ने पहले ही बंद कर दिया है।
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