कोरोना वायरस महामारी का सामना कर रही दुनिया के सामने एक नई मुसीबत ने चिंता बढ़ा दी है। रूस ने सर्दी में वेस्ट नील वायरस संक्रमण में संभावित वृद्धि पर सोमवार को चेतावनी जारी की।
उसका कहना है कि नम और सर्द वातावरण इस वायरस को फैलने का जिम्मेदार हो सकता है क्योंकि नम और आद्र तापमान मच्छरों को अनुकूल अवसर देता है। रूस की स्वास्थ्य नियामक एजेंसी रोसपेत्रोब्नाजोर ने कहा, "इस साल सर्दी के लंबा और आद्रता ज्यादा रहने का अनुमान लगाया जाता है। उसके संदर्भ में कहा जा सकता है कि वायरस फैलाने वाले मच्छर बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं।
वेस्ट नील वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। ये पक्षियों से इंसानों में संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। ये इंसानों में गंभीर तंत्रिका संबंधी रोग जैसे इन्सेफेलाइटिस या मैनिंजाइटिस का कारण बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, वायरस से करीब 20 फीसद मामलों में वेस्ट नील बुखार होता है। इसका संबंध जीका, डेंगू और पीला बुखार के वायरस से जोड़ा जाता है। सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक वेस्ट नील वायरस अमेरिका में मच्छर से होने वाली बीमारी का प्रमुख कारण है। पहली बार अफ्रीका में वायरस सामने आने के बाद ये यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका तक फैल गया है।
वायरस से संक्रमित शख्स में आम तौर से कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है या हल्का लक्षण होता है। लक्षणों में सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ का दर्द, डायरिया, बुखार, चकत्ते शामिल हैं। शरीर में ये लक्षण कुछ दिनों से लेकर कई सप्ताह रह सकता है, और आम तौर पर खुद से खत्म हो जाता है।
किसे है ज्यादा खतरा?
सीडीसी के मुताबिक, वेस्ट नील वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों में बीमार के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। संक्रमित 5 में से करीब एक शख्स को सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों का दर्द के साथ बुखार होता है। ज्यादातर ठीक होने वाले मरीजों में थकान और कमजोरी सप्ताह या महीनों रह सकते हैं। बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर इम्यूनिटी वालों को सबसे ज्यादा बीमारी का खतरा है।