मैं अपनी दुनिया में जी रहा हूं
प्रस्तुत संग्रह आवाज है उन लोगों की, जो सुनी नहीं जाती...। यह आगाज है उन तरंगों का, जिनका अहसास बहुत दूर तक जाता है...। यह संबोधन है, अपने समय से कि वक्त सदा आगे बढ़ता है...। यह ललकार है उनके लिए जो वक्त से आगे की सोचते हैं।