हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक मैनेजर पाण्डेय इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। मैनेजर पाण्डेय इस समय हिन्दी में सजग आलोचकों की छीजती जा रही परंपरा में एक गहरी आशा और आश्वस्ति के रूप में उपस्थित हैं। उन्होंने न केवल आलोचना में, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक मोर्चों पर सक्रिय रहते हुए हिन्दी की व्यापक सजग चेतना का प्रतिनिधित्व किया है और लगातार अपनी लेखनी और शब्दों से एक नई दिशा दिखाने का काम किया है। अब तक आलोचना की उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें ‘भक्ति आंदोलन और सूरदास का काव्य,’ ‘साहित्य और इतिहास दृष्टि,’ ‘संकट के बावजूद,’ ‘आलोचना का समाजशास्त्र,’ ‘अनभै सांचा,’ ‘आलोचना में सहमति-असहमति,’ ‘हिन्दी कविता का अतीत और वर्तमान,’ ‘भारतीय साहित्य में प्रतिरोध की परम्परा’ और ‘उपन्यास और लोकतंत्र’प्रमुख हैं।