एक नवाब साहब लखनऊ से अपने भतीजे के निकाह के लिए कानपुर पंहुचे...नवाब साहब दो दिन से देख रहे थे कि रोज दावत में उनको खाने में अंडे ही दिए गए...सो तीसरे दिन उनका सब्र टूट गया और उन्होंने अपने समधी से पूछ ही लिया...जनाब, ये अंडे तो अपनी जगह ठीक हैं, पर इनके वालिद कहां हैं...? उनसे भी मुलाक़ात कराइए...ये होती है लखनवी तहजीब...
समधी पक्का कनपुरिया था,कहा...जनाब...ये अंडा तो यतीम है...!!!