तुम जेब और पर्स की रानी हो : चटपटी हास्य कविता

Webdunia
मैं लैंडलाइन सम धीर प्रिये, तुम मोबाइल-सी चंचल हो
मैं एक जगह पड़ा रहता प्रिये, तुम चंचल-सी तितली हो 
मैं एक ही राग में गाता हूं प्रिये, तुम नए गीत सुनाती हो
मैं टेबल का राजा हूं प्रिये, तुम जेब और पर्स की रानी हो
मैं हूं अनपढ़-सा प्रिये, तुम पढ़ी लिखी संदेशों की दीवानी हो 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख