लल्लू का मिजाज लड़कपन से ही आशिकाना था, पर अब लड़कपन क्या, जवानी बीते भी बरसों गुजर गए थे।
लेकिन मिजाज वैसा ही बना हुआ था।
एक दिन वो अपने बंगले के बाहर टहल रहे थे कि खूबसूरत-सी लड़कियों को सड़क पर गुजरते देखकर नौकर से तुरंत बोले, 'जा जरा मेरे दाँत तो उठा ला ! मैं सीटी बजाना चाहता हूँ।'