विश्व पुस्तक मेले में वाणी प्रकाशन के स्टॉल नंबर 12 ए (277-288) पर 2:00 बजे ‘गीताश्री के नवीनतम और वाणी प्रकशन से शीघ्र प्राकाश्य उपन्यास ‘हसीनाबाद’ पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भगवनदास मोरवाल और वन्दना राग, भारद्वाज जी, ओमकली, कविता जी, प्रीतपाल कौर और अनंत विजय जैसे पत्रकार और वरिष्ठ लेखकों ने भी हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के आरंभ के पुस्तक के ‘कवर का लोकार्पण’ किया गया और वंदना राग ने गीताश्री का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया। गीताश्री ने कहा कि यह उपन्यास इतिहास की छाया में लिपटा हुआ वर्तमान है। बिहार के वैशाली की ‘आम्रपाली’ को प्रेरणा स्त्रोत मानकर इस उपन्यास की रचना की गई है। लेकिन हमारा उद्देश्य इतिहास को टटोलना नहीं है। वरन यह जानना है कि आज के समय में तत्कालीन इतिहास को अपनी कल्पनाओं में कैसे इंगित कर सकते हैं। उसी का निर्धारण इस उपन्यास में करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि बिहार के एक जगह ‘हुसैनाबाद’ को लोगों ने ‘आम्रपाली’ के कारण ‘हसीनाबाद’ कहना शुरू कर दिया था। और ऐसा नई पीढ़ी के विद्रोह के रूप में हुए पलायन के कारण हुआ। उन्होंने आगे कहा कि यह उपन्यास एक स्त्री-विमर्श और अपने लोक की कहानी है, जिसमें ‘आम्रपाली’ एक अभिशप्त के रूप में प्रेवेश करती है।
मां-बेटी की कहानी को केन्द्र में रख कर इस उपन्यास का ताना-बना बुना गया है। ‘आम्रपाली’ आधुनिक अवतार में उपन्यास में आती है और मिथिला को अपने लोक से न सिर्फ बचाती है बल्कि उसे विशिष्ट भी बना देती है। आम्रपाली एक नगर वधू थी, और इतिहास बहुत हद तक उसके साथ न्याय भी करता है। आम्रपाली एक स्वाभिमानी स्त्री थी, और उसने शत्रु के प्रस्ताव को पूरे आत्मविश्वास के साथ ठुकरा दिया था। गीताश्री के इस उपन्यास का एक उद्देश्य आम्रपाली को ‘लोकमान्यता’ प्राप्त करवाना भी है।